प्रतिष्ठित पुरस्कारों का प्रबंधन करने वाले नोबेल फाउंडेशन ने अपनी निमंत्रण नीति पलटते हुए रूस, बेलारूस और ईरान के साथ ही एक धुर-दक्षिणपंथी स्वीडिश पार्टी के नेता को भी आमंत्रित किया है, जिस पर पहले प्रतिबंध लगाया गया था।
निजी फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक विदर हेल्गेसन ने एक बयान में कहा कि एक वैश्विक प्रवृत्ति है जिसमें “अलग विचारों वाले लोगों के बीच संवाद कम हो रहा है।” उन्होंने कहा कि इसका मुकाबला करने के लिए, ‘‘अब हम नोबेल पुरस्कार और मुक्त विज्ञान, मुक्त संस्कृति और मुक्त, शांतिपूर्ण समाजों का महत्व समझने के लिए अपने निमंत्रण का विस्तार कर रहे हैं।’’
फाउंडेशन ने कहा कि 2023 के आयोजन के लिए निमंत्रण स्वीडन एवं नॉर्वे में राजनयिक मिशन वाले सभी देशों और “लोकतांत्रिक चुनावों के माध्यम से संसदीय प्रतिनिधित्व वाले दलों” को दिया गया है। उसने कहा कि “यह सामान्य दृष्टिकोण नोबेल पुरस्कार के महत्वपूर्ण संदेशों को सभी के लिए व्यक्त करने के अवसरों को बढ़ावा देता है। भविष्य में यह प्रथा पूरे संगठन के लिए सामान्य होगी।”
पिछले साल, यूक्रेन में युद्ध के कारण रूस और बेलारूस के राजनयिक राजदूतों को पुरस्कार समारोहों और भोज में हिस्सा लेने से रोक दिया गया था, जो हमेशा 10 दिसंबर को होते हैं। वहीं ईरान के राजदूत को भी देश में खराब होती स्थिति के चलते इससे बाहर रखा गया था। नोबेल शांति पुरस्कार ओस्लो में जबकि अन्य सभी नोबेल पुरस्कार स्टॉकहोम में प्रदान किए जाते हैं।
फाउंडेशन ने स्वीडन डेमोक्रेट्स पार्टी के नेता जिमी एकेसन को भी निमंत्रण दिया, हैं जिन्होंने फेसबुक पर यह कहते हुए इसे अस्वीकार कर दिया कि “दुर्भाग्य से मैं उस दिन व्यस्त हूं।” इस साल के नोबेल पुरस्कार विजेताओं की घोषणा अक्टूबर के शुरु में की जाएगी।