तेल ने बढ़ाया रूस से आयात

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 6:07 PM IST

यूक्रेन के साथ युद्ध के कारण विभिन्न प्रतिबंधों का सामना कर रहे रूस से भारत का आयात बिल अप्रैल में 3.5 गुना बढ़कर पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में 2.3 अरब डॉलर हो गया। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों से इसकी जानकारी मिली है।
अप्रैल महीने के दौरान, रूस से भारत के कच्चे तेल का आयात मूल्य 1.3 अरब डॉलर था जो रूस से होने वाले भारत के कुल आयात का 57 प्रतिशत था। इस महीने के दौरान प्रमुख आयातित सामानों में कोयला, सोयाबीन और सूरजमुखी तेल, उर्वरक और गैर-औद्योगिक हीरे शामिल थे।
अप्रैल में, इराक, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बाद भारत के लिए चौथा सबसे बड़ा कच्चा पेट्रोलियम आपूर्तिकर्ता  रूस भी था। जहां तक कुल आयात का संबंध है अप्रैल में, रूस छठा सबसे बड़ा आयात भागीदार था। पिछले साल अप्रैल में भारत के लिए रूस कच्चे तेल के लिए 7वां सबसे बड़ा स्रोत था जबकि भारत के आयात साझेदारों में रूस 21वें स्थान पर था। रूस अप्रैल महीने में भारत का नौवां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया, जिसमें निर्यात और आयात दोनों शामिल थे और कुल व्यापार आयात में तेजी की वजह से 2.42 अरब डॉलर था।
वहीं दूसरी तरफ रूस के लिए निर्यात अप्रैल में घटकर 9.6 करोड़ डॉलर तक हो गया और इसमें सालाना आधार पर 59 प्रतिशत की कमी दिखी। इस महीने के दौरान रूस को निर्यात किए जाने वाले प्रमुख सामानों में इलेक्ट्रिक मशीनरी और उपकरण, लोहा और स्टील, दवा उत्पाद, समुद्री उत्पाद, वाहनों से जुड़े सामान शामिल थे। 24 फरवरी को यूक्रेन पर किए गए रूस के हमले के बाद से ही भारत में रूस से कच्चे तेल का आयात बढ़ रहा है। इस आक्रमण के बाद अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए ताकि रूस को वैश्विक व्यापार से अलग-थलग किया जा सके। इसका नतीजा यह हुआ कि जिंसों की कीमतें आसमान छूने लगीं।
उस वक्त के बाद से ही पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद भारत ने किसी एक  पक्ष को नहीं चुना है और रूस के साथ अपने ऐतिहासिक संबंधों को देखते हुए तटस्थ रुख बनाए रखने का फैसला किया है। आर्थिक प्रतिबंध लगाने के बावजूद रूस के साथ व्यापार जारी रखने के लिए भी भारत की भी खूब आलोचना हुई।
विभिन्न वैश्विक मंचों पर भारत यह कहते हुए अपने रुख का बचाव करता रहा है कि पेट्रोलियम उत्पाद पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाए प्रतिबंधों के दायरे में नहीं आते हैं और भारत ने हमेशा ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विविध स्रोतों के विकल्पों पर जोर दिया है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अप्रैल में भारत-अमेरिका 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता के दौरान एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था, ‘अगर आप रूस से की जाने वाली खरीदारी पर गौर कर रहे हैं तो मेरा सुझाव है कि आपका ध्यान यूरोप पर भी होना चाहिए। हम जो कुछ खरीदते हैं वह हमारी ऊर्जा सुरक्षा के लिए आवश्यक है। लेकिन आंकड़ों को देखते हुए मुझे इस बात का संदेह है हमारी एक महीने की  कुल खरीद यूरोप की एक दिन में की गई खरीद की तुलना में कम होगी।’वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने पिछले महीने विश्व आर्थिक मंच में कहा था कि भारत वर्तमान ढांचे के अनुरूप ही काम कर रहा है जिसे प्रतिबंध लगाने वाले देशों ने ही तैयार किया है।

First Published : June 22, 2022 | 12:20 AM IST