पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने शुक्रवार को कहा कि काबुल में सत्ता पर तालिबान के कब्जा करने के बाद एक नई हकीकत स्थापित हुई है और अब यह सुनिश्चित करना अंतरराष्ट्रीय समुदाय का सामूहिक हित है कि कोई नया संघर्ष नहीं हो तथा युद्ध प्रभावित देश में सुरक्षा स्थिति स्थिर रहे।
ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में 20 वीं शांघाई सहयोग संगठन राष्ट्राध्यक्ष परिषद (एससीओ-एसीएचएस) को संबोधित करते हुए खान ने कहा कि अफगानिस्तान के फिर कभी आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह नहीं बनने को सुनिश्चित करने के साथ-साथ सभी अफगानों के अधिकारों के लिए सम्मान सुनिश्चित करना भी जरूरी है।
डॉन अखबार ने उनके हवाले से कहा कि एक शांतिपूर्ण एवं स्थिर अफगानिस्तान से पाकिस्तान का हित जुड़ा हुआ है। खान ने कहा कि तालिबान के नियत्रंण करने और विदेशी सैनिकों की वापसी के बाद अफगानिस्तान में एक नई हकीकत स्थापित हुई है। यह बगैर रक्तपात, गृहयुद्ध और बड़ी संख्या में शरणार्थियों के पलायन किए बगैर हुआ, जो राहत की बात होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि तालिबान को समावेशी राजनीतिक ढांचे के लिए किए गए वादों को अवश्य पूरा करना चाहिए, जहां सभी जातीय समूहों का प्रतिनिधित्व हो। यह अफगानिस्तान में स्थिरता के लिए जरूरी है। खान ने कहा कि अफगानिस्तान को बाहर से नियंत्रित नहीं किया जा सकता।
इमरान खान ने भी ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी से मुलाकात कर उनके साथ अफगानिस्तान के विषय पर चर्चा की। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान में बताया कि दोनों नेताओं ने शांघाई सहयोग संगठन की बैठक से इतर मुलाकात की। इस दौरान अफगानिस्तान और अन्य द्विपक्षीय मामलों पर वार्ता की गई तथा खान ने शांतिपूर्ण, स्थायी और समृद्ध अफगानिस्तान में अपने देश के अहम हित को रेखांकित किया। अभी तक अन्य देशों की तरह पाकिस्तान ने नई सरकार को मान्यता नहीं दी है।