पाकिस्तान सरकार ने तालिबान शासन के साथ बढ़ते तनाव और चीन के दबाव को कम करने के लिए एक नए सैन्य अभियान को मंजूरी दे दी है। इस अभियान का नाम “अज्म-ए-इस्तेहकाम” है, जिसका मतलब “स्थिरता का संकल्प” होता है। इस अभियान का लक्ष्य पाकिस्तान के अंदर आतंकवाद को खत्म करना और अफगानिस्तान से आने वाले लड़ाकों की गतिविधियों को रोकना है।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने हाल ही में वॉयस ऑफ अमेरिका को बताया कि आतंकवादियों के ठिकानों को खत्म करने के लिए पाकिस्तान सीमा पार हवाई हमले करने के लिए भी तैयार है। हालांकि, यह कदम तालिबान को भड़का सकता है और वे जवाबी कार्रवाई कर सकते हैं। अगस्त 2021 में अमेरिका के अचानक अफगानिस्तान से निकलने के बाद से ही पाकिस्तान में आतंकी हमलों में तेजी आई है। खासतौर पर जब से तालिबान ने काबुल में फिर से सत्ता हथिया ली है।
आतंकवाद से निपटने के लिए पाकिस्तान की रणनीति
पाकिस्तान में 2023 में लगभग 700 हिंसक घटनाओं में करीब 1,000 लोग हताहत हुए हैं। इनमें से ज्यादातर घटनाएं खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान इलाकों में हुई हैं। खैबर पख्तूनख्वा में आतंकी हमले पाकिस्तान सरकार के लिए खास चिंता का विषय रहे हैं क्योंकि इनमें चीन के कई नागरिक मारे गए हैं जो चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड परियोजना से जुड़ी परियोजनाओं पर काम कर रहे थे।
चीनी ठिकानों और कर्मियों को निशाना बनाने वाले हमलों से चीन नाराज़ हो गया और उसने पाकिस्तान को चेतावनी दी कि वह आतंकवाद रोके वरना पाकिस्तान में पैसा लगाना बंद कर देगा।
पाकिस्तान का दावा है कि काबुल ने टीटीपी के नेताओं को शरण दी है। पाकिस्तान ने कहा है कि ज्यादातर हमलों के पीछे टीटीपी (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) का हाथ है। पाकिस्तान बार-बार कह रहा है कि टीटीपी के नेताओं को अफगानिस्तान की सीमा के पास सुरक्षित जगह दी जा रही है।
रक्षा मंत्री ने यह कड़ा बयान उसी दिन दिया, जिस दिन जेयूआई-एफ के मौलाना फजलुर रहमान ने खैबर पख्तूनख्वा में सुरक्षा की गंभीर स्थिति के बारे में चेतावनी दी। रहमान ने कहा कि हालात इतने खराब हो गए हैं कि हथियारबंद लोगों की वजह से पुलिस भी रात में बाहर नहीं जा सकती। टीटीपी ने नवंबर 2022 में पाकिस्तान के साथ अपना युद्धविराम खत्म कर दिया था।
अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत कार्रवाई
वॉइस ऑफ अमेरिका के साथ एक इंटरव्यू में, आसिफ ने कहा कि पाकिस्तान अफगानिस्तान में आतंकी ठिकानों पर हमला कर सकता है और यह अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ नहीं होगा क्योंकि अफगानिस्तान पाकिस्तान को “आतंकवाद निर्यात” कर रहा है और वहां “आतंकवादियों” को पनाह दी जा रही है।
उन्होंने कहा कि हालांकि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) पड़ोसी देश से काम कर रहा है, इसके कुछ हज़ार सदस्य “देश के भीतर” काम कर रहे हैं और उन्होंने उग्रवाद को वापस लाने के लिए पिछली इमरान खान की अगुवाई वाली पीटीआई सरकार को जिम्मेदार ठहराया। मंत्री ने प्रतिबंधित संगठन के साथ किसी भी तरह की वार्ता की संभावना को भी खारिज कर दिया।
‘अज़्म-ए-इस्तेहकाम’ के बारे में बोलते हुए, आसिफ ने कहा कि इस मामले में संसद को शामिल किया जाएगा। साथ ही, राजनीतिक दलों की चिंताओं को भी दूर किया जाएगा। डॉन अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, मंत्री ने स्थानीय न्यूज चैनलों से अलग से बातचीत में कहा कि पाकिस्तान अफगानिस्तान के साथ अपनी सीमाओं पर अंतरराष्ट्रीय कानूनों को सख्ती से लागू करेगा। इससे तस्करी के माल की आवाजाही पर रोक लगेगी। अखबार ने मंत्री के हवाले से बताया कि इस फैसले से आतंकवादियों के घुसपैठ को भी रोका जा सकेगा।