भारतीय मूल के विक्रम पंडित ने जब दुनिया के सबसे बड़े बैंक सिटीग्रुप के सीईओ का पदभार संभाला था तब शायद उन्होंने भी यह नहीं सोचा होगा कि उनके लिए राह इतनी मुश्किल होगी।
पंडित को इस कुर्सी पर बैठे हुए भले ही चार महीने ही बीते हों, पर उन पर बैंक को घाटे से निकालने का दबाव बढ़ता ही जा रहा है। भारत के नागपुर में जन्मे 51 वर्षीय पंडित को हेज फंड ओल्ड लेन पार्टनर्स में उनकी भूमिका को देखते हुए सिटीग्रुप में इस पद पर बिठाया गया था।
दो दशक तक मॉर्गन स्टैनली के निवेश बैंकिंग इकाई में सीईओ की कमान संभालने के बाद अपने कुछ सह कर्मियों के साथ पंडित ने इस हेज फंड की स्थापना की थी। कंपनी की गाड़ी चल निकली और पंडित के इस हेज फंड को सिटीग्रुप ने 2007 में 80 करोड़ डॉलर में खरीद लिया।
हालांकि तब भी कुछ विश्लेषकों ने आलोचना के स्वर बुलंद किए थे और कहा था कि जिस हेज फंड की कुल संपत्ति तकरीबन 4.5 अरब डॉलर की हो उसके लिए इतनी अधिक रकम चुकाना सही नहीं है। अब खुद उनकी कंपनी के लोगों का कहना है कि निवेशक इस बैंक के ओल्ड लेन हेज फंड से कदम वापस खींच रहे हैं और पंडित के पास इसे रोक पाने के लिए कोई पुख्ता कदम नहीं है।
यह दीगर है कि पंडित समय समय पर यह कहते आए हैं कि वह बैंक को नुकसान से बाहर निकालने के लिए बड़े कदम उठाएंगे। पर ये बड़े कदम कौन से होंगे अब तक पता नहीं चल पाया है। पिछले एक वर्ष के दौरान सिटीग्रुप के शेयरों के भाव 55 फीसदी के करीब गिरे हैं। वॉल स्ट्रीट जर्नल ने गत मंगलवार को अपने पहले पन्ने पर पंडित की आलोचना करते हुए कहा था कि उनकी निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित नहीं करती है।
साथ ही अखबार में यह भी कहा गया था कि कंपनी के पद पर काबिज होते वक्त उन्होंने कंपनी के भविष्य को लेकर जो संभावनाएं जताई थीं, वह उन्हें पूरा करने की कोशिश में नहीं दिखाई पड़ते हैं। पंडित के बारे में एक बात जो दिलचस्प है वह यह है कि भले ही उन पर बैंक की कार्यप्रणाली और मुनाफे को पटरी पर लाने का बेहद दबाव हो, पर कंपनी उन्हें तनख्वाह देने के लिहाज से बहुत आगे नहीं है।
अभी हाल ही में फोर्ब्स ने 500 अमेरिकी कंपनियों के सीईओ की तनख्वाह की सूची जारी की थी, जिसमें पंडित का नाम सबसे नीचे था। भारी भरकम तनख्वाह उठाने वाले सीईओ में पंडित 495वें पायदान पर थे। पिछले वर्ष के आखिरी महीनों से अब तक सिटीग्रुप ने 45 अरब डॉलर बट्टे खाते में डाले हैं और कंपनी ने लाभांश में 41 फीसदी की कटौती की है।
वित्तीय हालात को सुधारने के लिए पंडित काफी समय से कहते आए हैं कि सालाना खर्चे में 20 फीसदी तक की कटौती की जाएगी। पर शायद पंडित की असली परीक्षा तब होगी जब वह शुक्रवार को विश्लेषकों और निवेशकों के साथ बैठक में कंपनी की रणनीति को लेकर प्रस्तुति देंगे।
हालांकि, इस बात को लेकर भी चर्चा जोरों पर है कि सिटीग्रुप अपने नुकसान की भरपाई के लिए 400 अरब डॉलर की संपत्ति बेचने पर विचार कर रहा है। सूत्रों के अनुसार शुक्रवार की बैठक में पंडित इस बारे में अपने पत्ते खोल सकते हैं।