रूस से कच्चे तेल के आयात मूल्य को निर्धारित करने के लिए जी7 देशों के बीच काफी सुगबुगाहट दिख रहा है लेकिन रूस भी उसका जवाब देने में पीछे नहीं है। अधिकारियों ने बताया कि मॉस्को ने नई दिल्ली से कहा है कि वह भारत को पहले के मुकाबले कीमत पर तेल उपलब्ध कराने के लिए तैयार है।
विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘सैद्धांतिक तौर पर कहा जा सकता है कि बदले में भारत को जी7 के प्रस्ताव का समर्थन नहीं करना चाहिए। इस मुद्दे पर बाद में निर्णय लिया जाएगा क्योंकि फिलहाल सभी भागीदारों के साथ बातचीत चल रही है।’
अधिकारियों ने कहा कि यह छूट पिछले दो महीनों के दौरान इराक द्वारा दी गई छूट के मुकाबले अधिक होगी। मई में भारत के लिए रूसी क्रूड ऑयल का मूल्य इंडियन क्रूड आयात बास्केट के औसत मूल्य 110 डॉलर प्रति बैरल के मुकाबले 16 डॉलर प्रति बैरल कम था। जून में छूट को घटाकर14 डॉलर प्रति बैरल कर दिया गया और उस दौरान इंडियन क्रूड बास्केट का औसत मूल्य 116 डॉलर प्रति बैरल था। अधिकारियों ने कहा कि अगस्त तक रूसी क्रूड ऑयल की कीमत औसत क्रूड आयात बास्केट मूल्य के मुकाबले 6 डॉलर कम था।
फिलहाल भारत के सबसे बड़े तेल आपूर्तिकर्ता देश इराक ने जून के अंत में रूस के मुकाबले 9 डॉलर प्रति बैरल कम कीमत पर तेल की आपूर्ति करते हुए रूस को पीछे कर दिया। ऐसे में मूल्य के प्रति कहीं अधिक संवेदनशील माने जाने वाले भारतीय बाजार का झुकाव इराक की ओर हो गया। परिणामस्वरूप भारत के शीर्ष तेल आपूर्तिकर्ता देशों की सूची में रूस खिसककर तीसरे पायदार पर चला गया। भारत की कुल तेल जरूरतों को पूरा करने में रूस का योगदान 18.2 फीसदी है। सूची में सउदी अरब 20.8 फीसदी योगदान के साथ पहले पायदान पर और इराक 20.6 फीसदी योगदान के साथ दूसरे पायदान पर रहा।
अधिकारियों का मानना है कि कीमतों में तेजी के बिना भी कच्चे तेल की आपूर्ति पश्चिम एशियाई देशों के इतर से बरकरार रहने की उम्मीद है। एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘हालांकि हमारी तेल खरीद में इराक से आयात की प्रमुख भूमिका बरकरार रहेगी लेकिन वैश्विक जटिलताओं और इराक की अस्थिर आंतरिक स्थिति को देखते हुए भारत को वैकल्पिक ढांचा तैयार करने की आवश्यकता है।’
सात देशों- कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका- का समूह (जी7) यूरोपीय संघ के साथ मिलकर रूसी तेल के लिए मूल्य निर्धारित करने पर जोर दे रहा है।