श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाभाया राजपक्षे ने सोमवार को 17 मंत्रियों की नई कैबिनेट का गठन किया, जिसमें उनके भाई प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे, राजपक्षे परिवार की ओर से एकमात्र सदस्य हैं। सबसे गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहे देश में अपने इस्तीफे की बढ़ती मांग के बीच गोटाभाया ने ‘व्यवस्था परिवर्तन’ का आह्वान किया। श्रीलंका 1948 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद, अब तक के सबसे बदतर आर्थिक हालात से गुजर रहा है। आर्थिक संकट के चलते देश में राजनीतिक उथल-पुथल मची हुई है। इसके चलते लोग पिछले दिनों घंटों बिजली गुल रहने व ईंधन, खाद्य सामग्री, तथा रोजमर्रा की जरूरत के सामान की कमी के कारण सड़कों पर उतर आए और राष्ट्रपति गोटाभाया के इस्तीफे की मांग करने लगे।
इस महीने की शुरुआत में देशभर में हजारों लोग आपातकाल और कफ्र्यू की अवहेलना करते हुए सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आए थे, जिसके बाद प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को छोड़कर मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया था।
इसके बाद राष्ट्रपति को विपक्षी सदस्यों को साथ लेते हुए समावेशी कैबिनेट के गठन का मार्ग प्रशस्त करने को मजबूर होना पड़ा था। हालांकि विपक्ष ने पेशकश को ठुकरा दिया था। महिंदा राजपक्षे ने सोमवार को 17 सदस्यीय मंत्रिमंडल के साथ शपथ ली। इससे पहले तीन मंत्रियों को नियुक्त किया गया था। नए मंत्रिमंडल में परिवार की ओर से पूर्व सदस्यों चामल राजपक्षे और महिंदा के बेटे नामल राजपक्षे को जगह नहीं दी गई है। ये दोनों कैबिनेट मंत्री थे जबकि शशिंद्र राजपक्षे राज्यमंत्री थे।
गोटाभाया राजपक्षे और महिंदा राजपक्षे दोनों ने प्रदर्शनकारियों को शांत करने के लिए अलग-अलग राष्ट्र को संबोधित किया है। लेकिन, राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग बढ़ती गई।