प्रतीकात्मक तस्वीर
इजरायल ने मंगलवार सुबह गाजा पट्टी क्षेत्र में हवाई हमले किए, जिसमें महिलाओं और बच्चों सहित कम से कम 404 फिलस्तीनी मारे गए। यह जानकारी अस्पताल के अधिकारियों ने दी। अचानक किए गए इस हमले की वजह से जनवरी से लागू संघर्षविराम टूट गया तथा 17 महीने से जारी युद्ध के फिर से शुरू होने का खतरा उत्पन्न हो गया है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने संघर्षविराम समझौते में बदलाव की इजरायली मांग को हमास द्वारा अस्वीकार किए जाने के बाद हमले का आदेश दिया।
अधिकारियों ने कहा कि हमले का दायरा बढ़ने की संभावना है। अमेरिकी राष्ट्रपति के आधिकारिक कार्यालय एवं आवास ‘व्हाइट हाउस’ ने कहा कि हमला करने से पहले उससे सलाह ली गई है और उसने इजरायल के फैसले का समर्थन किया। इजरायली सेना ने लोगों को पूर्वी गाजा छोड़ने और मध्य की ओर बढ़ने का आदेश दिया, जिससे संकेत मिलते हैं कि इजरायल जल्द ही नए सिरे से जमीनी स्तर पर सैन्य अभियान शुरू कर सकता है। नेतन्याहू के कार्यालय ने कहा, ‘इजरायल अब सैन्य ताकत बढ़ाकर हमास के खिलाफ कार्रवाई करेगा।’
रमजान के महीने के दौरान हुए इस हमले से वह युद्ध फिर से शुरू हो सकता है, जिसमें पहले ही हजारों फिलस्तीनी मारे जा चुके हैं और गाजा में व्यापक तबाही हुई है। साथ ही, इससे हमास द्वारा बंधक बनाए गए लगभग दो दर्जन इजरायली बंधकों की स्थिति को लेकर भी सवाल उठते हैं, जिनके बारे में माना जाता है कि वे अभी भी जीवित हैं।
हमास के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नेतन्याहू का युद्ध फिर से शुरू करने का फैसला शेष बंधकों के लिए ‘मौत की सजा’ के बराबर है। इज्जत अल-रिशेक ने नेतन्याहू पर अपने गठबंधन को बचाने के लिए हमले शुरू करने का आरोप लगाया और मध्यस्थों से कहा कि वे इस तथ्य का खुलासा करें कि संघर्षविराम किसने तोड़ा। हमास ने कहा कि मंगलवार के हमलों में कम से कम चार वरिष्ठ अधिकारी मारे गए।
बमबारी के कई घंटे बाद भी हमास द्वारा किसी हमले की कोई सूचना नहीं आई, जिससे यह संकेत मिलता है कि उसे अभी भी संघर्षविराम बहाल होने की उम्मीद है। ये हमले ऐसे समय में किए गए हैं जब नेतन्याहू पर इजरायल में दबाव बढ़ रहा है, बंधक संकट से निपटने के उनके तरीके और इजरायल की आंतरिक सुरक्षा एजेंसी के प्रमुख को बर्खास्त करने के उनके फैसले को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई गई है।
हमलों के बाद, लंबे समय से जारी भ्रष्टाचार के मुकदमे में उनकी हालिया गवाही रद्द कर दी गई। बंधकों के परिवारों का प्रतिनिधित्व करने वाले मुख्य समूह ने सरकार पर संघर्षविराम से पीछे हटने का आरोप लगाया और कहा कि उसने ‘बंधकों के मुद्दे को छोड़ने का विकल्प चुना।’