नई अधिसूचना का छात्रों पर नहीं पड़ेगा बड़ा असर

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 7:33 PM IST

भारतीय उच्च शिक्षा नियामक संस्थाओं की तरफ से शुक्रवार को एक संयुक्त बयान जारी कर कॉलेज में नामांकन कराने के इच्छुक छात्रों को पाकिस्तान नहीं जाने का परामर्श दिया गया। परामर्शकों के मुताबिक ऐसा सुरक्षा कारणों के मद्देनजर किया गया है।
उन्होंने कहा कि यह परामर्श इससे पहले चीन और यूक्रेन में चिकित्सा कार्यक्रमों में दाखिला लेकर पढ़ाई कर रहे छात्रों के लिए जारी किए गए परामर्श से अलग है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) की ओर से जारी किए गए वक्तव्य में पाकिस्तानी संस्थाओं से डिग्री हासिल करने वाले भारतीयों को रोजगार और उच्च शिक्षा के लिए अयोग्य ठहराया गया है। इसके कारण से भी कुछ छात्रों के लिए देश प्रत्यावर्तन का मार्ग बंद हो जाता है। वक्तव्य में कहा गया है, ‘पाकिस्तान के किसी डिग्री कॉलेज/शैक्षणिक संस्थान में दाखिला कराने वाले किसी भी भारतीय/विदेशी नागरिकता वाले भारतीय को पाकिस्तान से लिए गए ऐसे किसी शैक्षणिक योग्यताओं के आधार पर भारत में रोजगार या उच्चतर शिक्षा में नामांकन के लिए योग्य नहीं माना जाएगा।’
इसमें कहा गया है, ‘हालांकि, ऐसे प्रवासी और उनके बच्चे जिन्होंने पाकिस्तान में उच्च डिग्री प्राप्त की है और उन्हें भारत की नागरिकता दी गई है उन्हें गृह मंत्रालय से सुरक्षा संबंधी मंजूरी मिलने के बाद भारत में रोजगार के लिए पात्र माना जाएगा।’  विदेशी शिक्षा कंपनी कॉलेजीफाई के सह संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी आदर्श खंडेलवाल के मुताबिक यह कदम भूराजनीतिक है और भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखकर उठाया गया है। उन्होंने कहा कि यह अधिसूचना केवल पाकिस्तान जा रहे भारतीयों पर ही केंद्रित नहीं है। उन्होंने कहा कि काफी संख्या में भारतीय मूल के छात्र कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के देशों का पासपोर्ट लेकर पाकिस्तान के कॉलेजों में दाखिला कराते हैं ऐसे में यह अधिसूचना उन पर भी समान रूप से लागू है। भारतीय मूल के छात्र ऐसा पाकिस्तान में पढ़ाई सस्ती होने और कुछ अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के साथ छात्रवृत्ति साझेदारी के मद्देनजर करते हैं।
खंडेलवाल ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘पाकिस्तान से डिग्री हासिल कर ऐसे छात्र रोजगार और उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए भारत वापस लौटने का प्रयास करते हैं। सरकार इसी प्रयास को सुरक्षा कारणों से रोकना चाहती है।’ एक अन्य विदेशी शिक्षा परामर्श कंपनी योकेट के सह संस्थापक सुमित जैन ने सरकारी आंकड़ों के हवाले से कहा कि इस अधिसूचना का बहुत अधिक असर नहीं होगा क्योंकि भारत से पाकिस्तान जाने वाले छात्रों की संख्या फिलहाल 200 से कुछ ही अधिक है। उन्होंने कहा, ‘भारत के अलावा, पाकिस्तान कई देशों के लिए शीर्ष 10 विदेशी शिक्षा गंतव्यों में शामिल नहीं है। वक्तव्य में इससे अधिक और कोई बात नहीं है।’     
खांडेलवाल ने इंगित किया कि भारतीय संस्थाओं में सांस्कृतिक संघर्ष या भेदभाव का सामना करने वाले अधिकांश जम्मू कश्मीर तथा कुछ अन्य राज्यों के छात्र पढ़ाई के लिए पाकिस्तान का रुख करते हैं।
उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा, पाकिस्तानी शिक्षाविद न केवल ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों में डॉक्टरेट की पढ़ाई के बाद का अध्ययन करने या रोजगार के लिए जाते हैं बल्कि उनके पास छात्रवृत्ति कार्यक्रमों के लिए भी समझौता होता है। ये बातें भी अन्य देशों विशेष तौर पर पश्चिम में पढ़ रहे छात्रों को भारत में प्रत्यावर्तन करने से पहले पाकिस्तान से पढ़ाई करने के लिए काफी आकर्षित करती हैं।’
पाकिस्तान में कुछ स्नातक पाठ्यक्रम दो वर्ष के होते हैं। यह बात भी दूसरे देशों में रह रहे विदेशी नागरिकता वाले भारतीय छात्रों को आकर्षित करती है।
हाल में आए क्यूएस वल्र्ड यूनिवर्सिटी रैकिंग्स बाई सब्जेक्ट 2022 में 84 पाकिस्तानी संस्थाओं को शामिल किया गया था जिनमें से तीन शीर्ष 100 में और 16 शीर्ष 200 विश्वविद्यालयों में शामिल थे। क्यूएस यूनिवर्सिटी रैकिंग्स 2022 में पाकिस्तान से शामिल किए गए शीर्ष संस्थाओं में नैशनल यूनिवर्सिटी ऑफ साइंसेज ऐंड टेक्रोलॉजी को 358वां स्थान, कायदे आजम यूनिवर्सिटी को 378वां स्थान और पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग ऐंड एप्लाइड साइंसेज को 398वां स्थान मिला था। 

First Published : April 26, 2022 | 12:54 AM IST