निर्यातकों का कहना है कि यूक्रेन के खिलाफ रूस की सैन्य कार्रवाई से माल की आवाजाही, भुगतान और तेल की कीमतें प्रभावित होंगी और फलस्वरूप इसका असर देश के व्यापार पर भी पड़ेगा।
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (फियो) ने निर्यातकों से अपने माल को उस क्षेत्र में फिलहाल सुरक्षित रखने के लिए कहा है, जो काला सागर का रास्ता अपनाते हैं। फियो के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि रूस, यूक्रेन और अन्य पूर्वी यूरोपीय देशों में स्वेज नहर और काला सागर से माल की आवाजाही होती है।
उन्होंने कहा कि व्यापार पर इसका कितना प्रभाव पड़ेगा, यह दोनों देशों के बीच सैन्य संकट कब तक चलता है, उस पर निर्भर करेगा। मुंबई के एक निर्यातक शरद कुमार सर्राफ ने कहा कि मौजूदा संकट से देश के निर्यात पर असर पड़ेगा क्योंकि पश्चिमी देश रूस पर प्रतिबंध लगा रहे है। भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार इस वित्त वर्ष में अब तक 9.4 अरब डॉलर का रहा। इससे पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में यह 8.1 अरब डॉलर का था। भारत मुख्य तौर पर रूस से ईंधन, खनिज तेल, मोती, कीमती या अर्ध-कीमती पत्थर, परमाणु रिएक्टर, बॉयलर, मशीनरी और यांत्रिक उपकरणों का आयात करता है। वही रूस को दवा उत्पाद, विद्युत मशीनरी और उपकरण, जैविक रसायन और वाहनों का निर्यात करता है। इसके अलावा भारत और यूक्रेन के बीच चालू वित्त वर्ष में अब तक 2.3 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ है। इससे पिछले वित्त वर्ष यह 2.5 अरब डॉलर का था। यूक्रेन से भारत जहां कृषि उत्पाद और पॉलिमर आदि का आयात करता है, वही फार्मास्युटिकल्स, मशीनरी, रसायन व खाद्य उत्पाद निर्यात करता है।
फियो के उपाध्यक्ष खालिद खान ने कहा कि अगर रूस और यूक्रेन के बीच सैन्य अभियान लंबे समय तक जारी रहा, तो उस क्षेत्र में होने वाले निर्यात और आयात पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ेगा।