दुनिया भर में टीकाकरण करने, जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए अपने हिस्से की बड़ी राशि और तकनीक देने के प्रभावशाली वादों के साथ जी-7 सम्मेलन आज संपन्न हो गया। बैठक में दुनिया के सबसे अमीर सात देशों ने दुनिया के गरीब देशों को कोरोनावायरस रोधी 1 अरब टीके की खुराक देने और वैश्विक स्तर पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर न्यूनतम कर लगाने पर प्रतिबद्घता जताई। इसके साथ ही जी-7 के नेताओं ने चीन की गैर-बाजारवाद आर्थिक नीतियों की साथ मिलकर चुनौती देने और चीन से शिनजियांग और हॉन्गकॉन्ग में मानवाधिकारों का सम्मान करने की अपील पर सहमति जताई।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि जी-7 के नेताओं ने गरीब देशों के लिए कोविड-19 रोधी टीके की एक अरब खुराकें अंतरराष्ट्रीय कोवैक्स कार्यक्रम और सीधे तौर पर मुहैया कराने का संकल्प लिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा था कि दुनिया की कम से कम 70 प्रतिशत आबादी के टीकाकरण और महामारी को समाप्त करने के लिए और 11 अरब खुराकों की जरूरत है।
सम्मेलन में वैश्विक स्तर पर 15 फीसदी की न्यूनतम कॉपोरेट कर की भी सराहना की गई। इससे कर चोरी के मामले में भी कमी आएगी। जॉनसन ने चीन की गैर-बाजार वाली नीतियों के खिलाफ लोकतांत्रिक देशों से एकजुटता का आह्वान किया। कोविड-19 महामारी शुरू होने के पीछे मध्य चीन के वुहान स्थित प्रयोगशाला से वायरस के लीक होने की आशंका पर भी चर्चा की गई। सम्मेलन के जरिये संदेश दिया गया कि अमीर लोकतांत्रिक देशों का समूह- कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, अमेरिका और ब्रिटेन- गरीबी देशों के लिए अधिनायकवादी चीन के मुकाबले बेहतर मित्र हैं।
जी-7 सम्मेलन के दौरान लड़कियों की शिक्षा, भविष्य में महामारी रोकने और वित्त प्रणाली का इस्तेमाल हरित विकास के वित्तपोषण करने की महत्त्वाकांक्षी घोषणा की गई है।
वैश्विक संकट के समाधान में भारत अहम : मोदी
जी-7 के एक सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकतंत्र, वैचारिक स्वतंत्रता और आजादी के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। मोदी ने कहा कि भारत अधिनायकवाद, आतंकवाद और हिंसक अतिवाद से उत्पन्न खतरों से साझा मूल्यों की रक्षा के लिए जी-7 का स्वाभाविक सहयोगी है। मोदी ने कहा कि हमारी भागीदारी जी-7 के भीतर समझ को दर्शाती है कि भारत की भूमिका के बिना सबसे बड़े वैश्विक संकट का समाधान संभव नहीं है।