उद्योग के सूत्रों का कहना है कि बंदरगाहों ने चेन्नई में 23 जून से चीन के आयात की रोकी हुई खेपों को छोडऩा शुरू कर दिया है, जबकि कोलकाता के अधिकारियों ने कंटेनरों की किसी रुकावट से इनकार किया है। चेन्नई कस्टम हाउसिंग एजेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एस नटराज ने कहा कि कंटेनर 23 जून की रात से चलने शुरू हो गए हैं। उद्योग के अनुमान के मुताबिक 200 से अधिक कंटेनरों को एक दिन के लिए रोक दिया गया था और इनमें से अधिकांश कंटेनर इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं (वाहनों, मोबाइल और टीवी विनिर्माताओं के लिए), इलेक्ट्रिकल मशीनरी और उपकरण, बॉयलर, मशीनें और यांत्रिक उपकरण, कार्बनिक रसायन, प्लास्टिक के सामान आदि की ढुलाई कर रहे थे। 22 जून की रात को कंटेनर मालवहन स्टेशन (सीएफएस) को सीमा शुल्क अधिकारियों की ओर से सूचना मिलने के बाद ये कंटेनर चेन्नई और उसके आसपास सीएफएस में फंसे हुए थे। इन कंटेनरों की डिलिवरी नहीं देने के लिए कहा गया था जिनमें चीन में निर्मित उत्पाद थे।
केवल मौखिक निर्देशों में कहा गया है कि कुछ निश्चित जांच चल रही है। अधिकारियों को क्या कुछ संदेहास्पद मिला है, इस संबंध में बात करने के लिए सीमा शुल्क अधिकारी उपलब्ध नहीं थे। सूत्रों ने इस बात पुष्टि की है कि चीन या कहीं और से खेपों के भौतिक सत्यापन या दोबारा जांच के लिए केंद्र की ओर से कोई निर्देश या संदेश नहीं था।
इस बीच कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट (केपीटी) के चेयरमैन विनीत कुमार ने कोलकाता और हल्दिया बंदरगाहों पर किसी भी कार्गो को रोके जाने से इनकार किया है। कुमार ने कहा कि मेरी जानकारी के अनुसार किसी भी कार्गो को नहीं रोका गया है और हमें किसी भी आयातक से मंजूरी मिलने या रोके जाने के संबंध में आधिकारिक या अनौपचारिक रूप से कोई शिकायत नहीं मिली है। आम तौर पर केपीटी में प्रमुख खेपें मलेशिया, सिंगापुर और श्रीलंका से आती हैं तथा इस बंदरगाह पर शायद ही चीनी का काई जहाज लंगर डालता हो। कुमार ने कहा कि लॉकडाउन हटाए जाने के बाद आयात में 50 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है, लेकिन निर्यात में 80 प्रतिशत की वृद्धि हुई है (लॉकडाउन से पहले की तुलना में)। अलबत्ता सूत्रों का कहना है कि चीन की खेप प्रमुख रूप से सिंगापुर से होकर गुजरती हैं और खिलौने, स्टेशनरी तथा अन्य तैयार सामान आदि का संचालन कोलकाता बंदरगाह पर किया जाता है।