MSME: छोटे और मंझोले उद्योगों को समय पर भुगतान के लिए इनकम टैक्स नियम 1 अप्रैल से हो जाएगा लागू

भारतीय निर्यातकों ने सरकार से आग्रह किया है कि उन्हें MSME से खरीदे गए सामान के लिए 45 दिन के भीतर भुगतान नियम से छूट दी जाए क्योंकि इससे उनके कारोबार पर असर पड़ेगा।

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भाषा   
Last Updated- March 31, 2024 | 5:56 PM IST

सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (MSME) को समय पर भुगतान के लिए आयकर नियम सोमवार से अमल में आएगा। इसके तहत कंपनियां अगर वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति (goods and services supply) के लिए MSME को भुगतान 45 दिनों में नहीं करती हैं, तो भुगतान पर कर कटौती का दावा नहीं कर सकेंगी यानी उन्हें अधिक टैक्स का भुगतान करना होगा।

वित्त अधिनियम 2023 के माध्यम से पेश आयकर अधिनियम की धारा 43 बी (एच) के अनुसार यदि कोई बड़ी कंपनी MSME को समय पर भुगतान नहीं करती है… लिखित समझौतों के मामले में 45 दिनों के भीतर… तो वह उस खर्च को अपने कर योग्य आय से नहीं काट सकती है। इससे उन्हें अधिक कर देना पड़ सकता है।

कुछ उद्योग संगठनों ने सरकार से नए भुगतान नियमों के कार्यान्वयन को स्थगित करने का आग्रह किया है। फेडरेशन ऑफ इंडियन माइक्रो एंड स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (FISME) का कहना कि नए नियम में MSME के लिए पासा पलटने वाला बनने की क्षमता है। MSME को डर है कि इस प्रावधान के कारण, बड़े खरीदार MSME आपूर्तिकर्ताओं के प्रति उदासीन हो सकते हैं। वे या तो उन MSME से खरीदारी शुरू कर सकते हैं जो उद्यम के साथ पंजीकृत नहीं हैं या फिर गैर-MSME से जरूरत का सामान ले सकते हैं।

FISME ने यह स्वीकार किया कि धारा 43बी(एच) ने MSME और बड़े व्यवसायों दोनों के बीच कुछ आशंकाएं पैदा की हैं। हालांकि ‘ऐसी आशंकाएं निराधार हैं।’

उद्योग संगठन ने कहा, ‘‘भरोसेमंद आपूर्तिकर्ताओं को सिर्फ इसलिए बदलना क्योंकि एक बड़ी कंपनी उन्हें समय पर भुगतान नहीं करना चाहती है, हास्यास्पद है। किसी भी स्थिति में इस तरह की देरी पर आपूर्तिकर्ता को भुगतान की स्थिति में कर अगले वर्ष समायोजित किया जा सकता है। यह वाणिज्यिक गतिविधियो में अनुशासन लाएगा।’’

FISME ने कहा कि दूसरी ओर आशंकाओं के बावजूद, धारा 43बी (एच) में MSME के लिए पासा पलटने वाला बनने की क्षमता है। इसमें कहा गया है कि MSME को तेजी से भुगतान मिलेगा, जो उनके वित्तीय स्थिति और विकास के लिए महत्वपूर्ण है।

संगठन ने कहा, ‘‘यह प्रावधान बड़ी कंपनियों के साथ भुगतान शर्तों पर बातचीत करते समय MSME की स्थिति को मजबूत करता है। समय पर भुगतान बकाया राशि पर संभावित विवादों और कानूनी समस्याओं को कम कर सकता है। यह MSME परिवेश में अधिक पारदर्शी और जवाबदेह कारोबार गतिविधियों को प्रोत्साहित करता है।’’

इस बीच, भारतीय निर्यातकों ने सरकार से आग्रह किया है कि उन्हें सूक्ष्म और लघु उद्यमों से खरीदे गए सामान के लिए 45 दिन के भीतर भुगतान नियम से छूट दी जाए क्योंकि इससे उनके कारोबार पर असर पड़ेगा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे पत्र में प्रमुख निर्यात संवर्धन परिषदों और भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ के प्रमुखों ने निर्यात कंपनियों को आयकर कानून की धारा 43बी (एच) से छूट देने की अपील की है।

First Published : March 31, 2024 | 5:54 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)