इस्पात और पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने उद्योग के साझेदारों को शहरी क्षेत्रों में सरकार की ओर से निर्माण किए जाने वाले कम लागत के मकानों में साझेदारी करने की अपील की। कोविड-19 के कारण लगाए गए देशव्यापी लॉकडाउन में शहरी क्षेत्रों में प्रवासी मजूदरों के लिए आवास की दयनीय स्थिति चरम पर पहुंच गई थी।
वह ‘आत्मनिर्भर भारत: आवास और निर्माण तथा विमानन क्षेत्र में इस्पात के उपयोग को प्रोत्साहन’ विषय पर आयोजित वेबिनॉर में बोल रहे थे।
प्रधान ने कहा कि एक ओर जहां सरकार ने कम लागत वाले एक लाख मकान मुहैया कराने का लक्ष्य रखा है, वहीं उद्योग को इस्पात के ज्यादा इस्तेमाल वाले किफायती मकान बनाने चाहिए जिससे दूसरों को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
इस पर सज्जन जिंदल की अगुआई वाली जेएसडब्ल्यू स्टील के संयुक्त प्रबंध निदेशक और समूह मुख्य वित्तीय अधिकारी शेषगिरि राव ने रेखांकित किया कि देसी इस्पात निर्माताओं ने हल्के, मजबूत और उष्मा रोधी इस्पात तैयार किए हैं और अब इसे जीवाणु रोधी बनाने पर कार्य कर रहे हैं। समस्या इस उत्पाद की क्षमता के बारे में उपभोक्ताओं में जागरूकता की कमी का होना है। राव ने कहा, ‘कठोरता, वजन और मजबूती अनुपात, टिकाऊपन, लचीलेपन और तन्यता के मामले में इस्पात के मुकाबले दूसरा और कोई उत्पाद नहीं है। साथ ही, इस्पात के इस्तेमाल से समग्र परियोजना चक्र में निर्माण में लगने वाला समय 30 फीसदी घट जाता है।’