विज्ञापन में नाम तो बडे, पर दर्शन छोटे!

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 05, 2022 | 11:00 PM IST

हर कोई अभी तक यही समझता है कि बॉलिवुड और क्रिकेट जगत के सितारे लोगों के दिलों पर राज करते हैं और वे जो कहेंगे, लोग उसे भी आंख मूंद कर मानेंगे।


 
नहीं जनाब, यह हकीकत नहीं है! अब चाहे तमाम कंपनियां उन्हें अपने विज्ञापनों में लेने की होड़ में लगी रहें आईएमआरबी और आईपीएएन की ओर से किया गया सर्वे कुछ और ही बयां करता है। सर्वे के मुताबिक, ये सितारे विज्ञापनों के जरिए खरीदारों को प्रभावित करने का माद्दा नहीं रखते हैं।


सर्वे में विज्ञापन से जुड़ी दो बातों का उल्लेख किया गया। पहला, सेलिब्रिटीज इतने सारे उत्पादों के विज्ञापन से जुड़े रहते हैं कि कि उपभोक्ता उलझन में पड़ जाते हैं और गैर-सेलिब्रिटी ब्रांड की ओर आकर्षित होने लगते हैं। दूसरा, अगर विज्ञापन अच्छा हो तो वह किसी अंजान से शख्स को भी सेलिब्रिटी बना सकता है।


सर्वे में शामिल किए गए आधे से ज्यादा लोगों ने इस बात का जिक्र किया कि सेलिब्रिटीज जिस ब्रांड का विज्ञापन करते हैं, वे खुद उसका इस्तेमाल नहीं करते होंगे। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि सेलिब्रिटीज पैसे के लिए किसी भी उत्पाद का विज्ञापन कर सकते हैं, लेकिन जब उत्पाद के इस्तेमाल की बात आती है, तो वे अच्छी क्वॉलिटी वाली और इंपोर्टेड वस्तुओं का ही उपयोग करते हैं।


सर्वे में छोटे-बड़े शहरों में विभिन्न आयु वर्ग के 2,109 लोगों को शामिल किया गया। इनमें से 88 फीसदी लोगों का मानना है कि वस्तु की खरीदारी करते समय उत्पाद की क्वॉलिटी का ध्यान रखा जाता है, जबकि 9 फीसदी लोग कीमत देखकर सामान खरीदते हैं। 3 फीसदी लोगों का मानना है कि सेलिब्रिटीज जिस ब्रांड से जुड़े हैं, वह बेहतर होगा।


उधर, एडेक्स इंडिया के शोध रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2007 में विज्ञापनों में सेलिब्रिटीज की भागीदारी 49 फीसदी बढ़ी है। 2003 से टेलिविजन पर दिखाए जाने वाले सेलिब्रिटीज के विज्ञापनों में छह गुना वृद्धि हुई है। यही नहीं, कंपनियों को विज्ञापन के लिए सेलिब्रिटीज को अनुबंधित करने में काफी रकम खर्च करनी पड़ रही है। परसेप्ट टैलेंट मैनेजमेंट के मुताबिक, साल 2001 में विज्ञापन जगत में सेलिब्रिटीज की हिस्सेदारी 25 फीसदी थी, वहीं अब यह बढ़कर करीब 60 फीसदी तक पहुंच गई है।


कैडबरी इंडिया जब कीड़ों के विवाद में फंसी हुई थी, तब कंपनी ने अपने बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन का सहारा लिया था। माना जाता है कि इससे कंपनी को काफी फायदा हुआ था। हालांकि अमिताभ ने जब डाबर च्यवनप्राश का विज्ञापन शुरू किया, तो डाबर को इससे बहुत लाभ नहीं मिला। दरअसल, अमिताभ इतने ज्यादा ब्रांड के विज्ञापनों से जुड़े हुए हैं कि उपभोक्ता उलझन में पड़ जाते हैं और उस ब्रांड की ओर आकर्षित हो जाते हैं, जिसका वे विज्ञापन ही नहीं करते।


बड़े मियां हो या छोटे मियां…


एक सर्वे के मुताबिक उपभोक्ताओं को नहीं लुभा पाते सेलिब्रिटीज
सेलिब्रिटीज के ज्यादा ब्रांडों के विज्ञापन करने से हो रही है समस्या
विज्ञापन बाजार में नामी हस्तियों के कब्जे में है करीब 60 फीसदी

First Published : April 22, 2008 | 12:15 AM IST