छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में गुरुवार शाम नक्सली छापामारों ने भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड की खदान से लगभग 2 टन विस्फोटक लूट लिए।
उग्रवाद प्रभावित छत्तीसगढ़ के औद्योगिक उपक्रमों में फरवरी 2006 के बाद विस्फोटक सामग्रियों की हुई यह दूसरी सबसे बड़ी लूट है। इससे पहले राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) के दंतेवाड़ा परिसर में फरवरी 2006 में नक्सलियों ने 8 सीआईएसएफ जवानों की हत्या कर 20 टन विस्फोटक लूट लिया था।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, 100 से अधिक हथियारबंद हमलावरों ने दल्लीझाडा के समीप स्थित सेल के महामाया खदान में गुरुवार शाम 3 बजे हमला बोला। यह इलाका राजधानी रायपुर से लगभग 170 किलोमीटर दूर है। इस खदान से सेल की स्वामित्व वाली कंपनी भिलाई स्टील प्लांट को लौह अयस्क की आपूर्ति की जाती है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक, यह हमला सुनियोजित तरीके से किया गया।
नक्सलियों ने लौह-अयस्क से भरे ट्रक और विस्फोटकों के जरिए पूरे क्षेत्र को सील कर दिया था। वारदात को अंजाम देने से पहले उग्रवादियों ने वहां काम कर रहे अधिकारियों और कर्मचारियों को बंदूक का डर दिखाकर बंधक बना लिया। सूत्रों के अनुसार, उग्रवादी वारदात को अंजाम देने के लिए घटनास्थल पर 5 घंटे से अधिक देर तक रुके।
उधर, लूट को अंजाम देने और उग्रवादियों के भाग निकलने केबाद खदान के दो कर्मचारी दो घंटे की यात्रा कर दल्लीझाडा पहुंचे और अधिकारियों को इस वारदात की सूचना दी। फिलहाल राज्य पुलिस और सीआईएसएफ केअधिकारी दल-बल के साथ घटनास्थल पर डटे हैं। पुलिस के अनुसार, वारदात को अंजाम देने के बाद उग्रवादी घने जंगलों से सुरक्षित ठिकाने की ओर भाग गए हैं।
अधिकारियों के अनुसार, उग्रवादियों को इस बात की जानकारी थी कि महामाया की खदान तक हफ्ते में दो बार विस्फोटकों की सप्लाई होती है। उन्हें पता चल गया था कि इस गुरुवार शाम खादान में विस्फोटक पहुंचने वाले हैं। वैसे भी इस इलाके में उग्रवादियों की की वजह से अक्सर ही लौह अयस्क की आपूर्ति में बाधा पड़ती रही है।
उग्रवादियों की ओर से रोक कर रखे गए लौह-अयस्क से लदे करीब 90 ट्रकों को रवाना करने में सुरक्षा बलों को घंटों मेहनत करनी पड़ी। शुक्रवार को दल्लीझाड़ा तक केवल 130 टन लौह-अयस्क ही पहुंच सका, जबकि अन्य दिनों में 400 टन लौह-अयस्क की आपूर्ति होती है।