चीनी मिलें उप्र की, ऐतराज केन्द्र को

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 05, 2022 | 4:45 PM IST

राज्य में तीन सहकारी चीनी मिलों के निजीकरण करने की उत्तर प्रदेश सरकार की योजना में केन्द्र से अड़ंगा लगा दिया है। केन्द्र सरकार ने इस मामले में अपने क्षेत्राधिकार का सवाल उठाते हुए मिलों के निजीकरण को रोकने की अपील की है।


 ये चीनी मिलें मझोला (पीलीभीत), सरसावा (सहारनपुर) और रामाला (बागपत) में है। इन मिलों में राज्य सरकार की बहुलांश हिस्सेदारी है।बहु राज्यीय सहकारी सोसाईटी के केन्द्रीय पंजीयक और उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में गुहार लगाई है।केन्द्रीय पंजीयक का कहना है कि उत्तर प्रदेश के बंटवारे के बाद सहकारी सोसाईटी का परिचालन क्षेत्र दोनों राज्यों उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में फैल गया है।


 इस तरह सोसाईटी बहु राज्यीय सहकारी सोसाईटी कानून 2002 की धारा 103 और धारा 3 के उपबंध 3पी के तहत बहु राज्यीय सहकारी सोसाईटी में मानद रूप से पंजीकृत हो चुकी है। इस तरह इन चीनी मिलों का निजीकरण या बिक्री राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर की बात है।


उत्तर प्रदेश का हालांकि कहना है कि चीनी मिलें भारी घाटे में चल रही हैं और वाणिज्यिक रूप से व्यवहार्य नहीं रह गई हैं और राज्य सरकार उन्हें आगे चलाने में सक्षम नहीं रह गई है। उत्तर प्रदेश सहकारी चीनी मिल के वकील रवीन्द्र सिंह ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि मौजूदा कानूनों के मुताबिक 50 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी होने के कारण राज्य सरकार चीनी मिलों का निजीकरण कर सकती है।


सहकारी चीनी मिलों के निजीकरण को चुनौती देने वाली तीन याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति अमिताभ लाला और शिशिर कुमार की खंडपीठ ने सभी पक्षों से अपने हलफनामें की अदला-बदली करने के लिए कहा था और सुनावाई की अगली तारीख 26 मार्च मुकर्रर की थी। उत्तर प्रदेश में इस समय निजी क्षेत्र, सहकारी क्षेत्र और निगमों के द्वारा कुल 129 चीनी मिलों का संचालन किया जा रहा है। इसके अलावा निजी क्षेत्र की पांच नई चीनी मिलों की इस साल शुरुआत होने की उम्मीद है।


चीनी मिलों को वसूली प्रमाणपत्र


उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य की तीन चीनी मिलों को वसूली प्रमाणपत्र जारी किया है। इन मिलों को 2007-08 के पेराई सत्र के लिए गन्ना किसानों को बकाये का भुगतान न कर पाने के लिए यह प्रमाणपत्र जारी किया गया है। राज्य के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ये मिलें बागपत स्थित मलकापुर, महाराजगंज स्थित गरोरा और गाजियाबाद स्थित मोदी हैं। बागपत और मोदी चीनी मिल का संचालन मोदी समूह द्वारा किया जाता है जबकि गरोरा चीनी मिल के मालिक उत्तर प्रदेश के शराब व्यवसायी जवाहर जायसवाल हैं।


अधिकारी ने बताया कि मलकापुर, गरोरा और मोदी पर क्रमश: 89.48 करोड़ रुपये, 35.56 करोड़ रुपये और 41.35 करोड़ रुपये का बकाया है। उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद ये मिलें केवल 10 से 18 प्रतिशत देनदारियों का भुगतान ही कर सकीं हैं।इस बीच राज्य सरकार ने 195 सहकारी गन्ना विकास समितियों के चुनावों की तारीख घोषित कर दी है। इन संस्थाओं के प्रतिनिधियों और प्रबंध समिति के लिए चुनाव क्रमश: 24 अप्रैल और 24 मई को होगा। इस समितियों का कार्यकाल दो वर्ष के लिए है।

First Published : March 19, 2008 | 10:25 PM IST