प्रतीकात्मक तस्वीर
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पल्ला झाड़ लेने को मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने ‘डैमेज कंट्रोल’ करार दिया है। विपक्षी दल ने पूछा कि अब तक इन दोनों नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई, उन्हें कारण बताओ नोटिस क्यों नहीं दिया गया। कांग्रेस महासचिव (संचार प्रभारी) जयराम रमेश ने कहा कि इन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया जाना चाहिए।
जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर अपनी पोस्ट में कहा, ‘प्रधान न्यायाधीश पर भाजपा के दो सांसदों की ओर से की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों से भाजपा के निवर्तमान अध्यक्ष द्वारा दूरी बनाए जाने का कोई विशेष अर्थ नहीं है। ये सांसद घृणा फैलाने वाले बयानों को बार-बार दोहराते रहने के लिए कुख्यात हैं।’ उन्होंने कहा, ‘निवर्तमान भाजपा अध्यक्ष नड्डा का स्पष्टीकरण डैमेज कंट्रोल के अलावा कुछ नहीं है। इससे कोई मूर्ख नहीं बनेगा। यह ‘एंटायर पॉलिटिकल साइंस के बजाए एंटायर पॉलिटिकल हिपोक्रेसी’ है।
कांग्रेस महासचिव मुकुल वासनिक, लोक सभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई और पार्टी के मीडिया एवं प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने भी भाजपा सांसदों की टिप्पणियों की आलोचना की। खेड़ा ने कहा, ‘सिर्फ बयान से किनारा कर लेने से कुछ नहीं होगा। निशिकांत दुबे ने जो कहा, वह संविधान पर सीधा हमला है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। आपने उपराष्ट्रपति की टिप्पणी भी देखी होगी।’ खेड़ा ने कहा, ‘ये बयान प्रधानमंत्री मोदी की मौन सहमति के बिना नहीं आए होंगे।’
दरअसल भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने शनिवार को कहा था कि कानून यदि शीर्ष अदालत ही बनाएगी तो संसद और विधान सभाओं को बंद कर देना चाहिए। बाद में उन्होंने एजेंसी से बातचीत में भी न्यायालय पर आरोप लगाया कि वह विधायिका द्वारा पारित कानूनों को रद्द करके संसद की विधायी शक्तियों को अपने हाथ में ले रहा है। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री शर्मा ने भी सर्वोच्च न्यायालय की आलोचना करते हुए कहा कि कोई भी संसद या राष्ट्रपति को निर्देश नहीं दे सकता। हालांकि भाजपा ने अपने सांसदों निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा की तीखी टिप्पणियों से खुद को अलग कर लिया। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इन टिप्पणियों को सांसदों के निजी विचार बताकर खारिज कर दिया। इस बीच रविवार को वक्फ अधिनियम मामले में एक वादी का प्रतिनिधित्व करने वाले उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता ने अटॉर्नी जनरल (एजी) आर वेंकटरमण को पत्र लिखकर दुबे के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने की सहमति मांगी है।
कई कानूनी विशेषज्ञों ने भी उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों की निंदा करते हुए उन्हें गैर-जिम्मेदाराना बताया और कहा कि शीर्ष अदालत की गरिमा और मर्यादा बनाए रखनी चाहिए। पिछले हफ्ते, धनखड़ ने न्यायपालिका द्वारा राष्ट्रपति के लिए निर्णय लेने के लिए समय सीमा तय करने और ‘सुपर पार्लियामेंट’ के रूप में कार्य करने पर सवाल उठाते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय लोकतांत्रिक ताकतों पर परमाणु मिसाइल नहीं दाग सकता है।