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पुनराकलन : राजस्व विभाग के पक्ष में फैसला

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 7:17 PM IST

उच्चतम न्यायालय ने आज पुनराकलन विवाद पर राजस्व विभाग के पक्ष में फैसला सुनाया है। पुराने पुनराकलन नियम के तहत 31 मार्च, 2021 के बाद जारी आयकर विभाग के नोटिस को रद्द करने के उच्च न्यायालय के फैसले को उच्चतम न्यायालय ने रद्द कर दिया है।
यह फैसला हजारों करदाताओं के लिए झटका है, जिन्होंने कर अधिकारियों द्वारा पहले के आकलन को फिर से खोलने के मामले में विभिन्न उच्च न्यायालयों से अपने पक्ष में फैसला पाया था।
शीर्ष न्यायालय ने पुराने नियम के तहत जारी नोटिसों को बरकरार रखा है, जो अमान्य नहीं होंगे और उन्हें वित्त अधिनियम 2021 के पुनराकलन दौर के नए प्रावधानों के तहत माना जाएगा।
शीर्ष न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है, ‘आईटी और करदाताओं के अधिकारों के बीच संतुलन बिठाने के लिए और सार्वजनिक खजाने के नुकसान को रोकने के लिए उच्चतम न्यायालय एक समय के अपवाद के रूप में निर्देशित करता है कि धारा 148 के तहत जारी किए गए नोटिस को नए कानून के तहत 148 ए अधिनियम के तहत जारी किया हुआ माना जाएगा।’
 नए पुनराकलन कानून में पिछले वर्षों के मूल्यांकन को फिर से खोलने के संबंध में नोटिस जारी करने की अवधि को घटाकर 6 साल से 3 साल कर दिया गया है।
नया कानून 1 अप्रैल 2021 से लागू है, वहीं कर विभाग ने 90,000  से ज्यादा नोटिस 1 अप्रैल से 30 जून, 2021 के बीच पहले के वर्षों के लिए जारी किया है।
ये नोटिस सरकार की अधिसूचना के आधार पर जारी किए गए, जिसमें महामारी की दूसरी लहर को देखते हुए समय सीमा बढ़ाकर 30 जून, 2021 कर दी गई थी। इसके बाद 9,000 से ज्यादा रिट याचिका देश के विभिन्न न्यायालयों में दाखिल की गई, जिसमें नोटिस के वैधता को चुनौती दी गई है।
कर विभाग ने ये नोटिस धारा 148 के तहत जारी किए थे, जिसमें आमदनी कम करके दिखाए जाने और पिछले के 3 आकलन वर्ष के पहले गलत रिपोर्टिग के आरोप थे। शीर्ष न्यालायल ने कहा, ‘आईटी अधिनियम की धारा 148 ए पेश किए जाने को परिवर्तनकारी कहा जा सकता है, जिसका मकसद कर प्रशासन को सरल करना, अनुपालन सरल बनाना और याचिकाएं कम करना है।’
न्यायालय ने कहा कि पुनराकलन कानून में बदलाव से करदाताओं को लाभ होगा और कर विभाग को अधिसूचना की अवधि बढऩे के कारण नोटिस जारी करने के मामले में बगैर किसी विकल्प के नहीं छोड़ा जा सकता है।
न्यायालय ने कर विभाग को यह भी निर्देश दिया है कि वह करदाताओं को कार्यवाही के पहले पर्याप्त अवसर दे।
नांगिया एंडरसन इंडिया के चेयरमैन राकेश नांगिया ने कहा कि उच्चतम न्यायालय का फैसला आयकर के न्यायशास्त्र में इतिहास का एक मील का पत्थर है,  क्योंकि इसने संविधान के अनुच्छेद 142 को संशोधित किया है और कई अदालतों द्वारा पारित आदेशों को उलट दिया है।
दिल्ली, अहमदाबाद और राजस्थान उच्च न्यायालयों के फैसले के बाद केंद्र सरकार की ओर से विशेष समीक्षा याचिका दायर किए जाने के बाद उच्चतम न्यायालय ने यह फैसला किया है। उच्च न्यायालयों ने कर विभाग की ओर से जारी नोटिस को रद्द कर दिया था। अन्य उच्च न्यायालयों ने भी इसी तरह के कदम उठाए और कर विभाग को पुनराकलन के लिए मामले फिर से खोलने से रोक दिया था।

First Published : May 5, 2022 | 1:03 AM IST