दिल्ली उच्च न्यायालय ने एमेजॉन-फ्यूचर मामले में एकल पीठ के आदेश पर आज रोक लगा दी। एकल पीठ ने आपात मध्यस्थता आदेश लागू कराने की एमेजॉन की याचिका पर सुनवाई के बाद किशोर बियाणी की संपत्तियां जब्त करने तथा 3.4 अरब डॉलर का फ्यूचर-रिलायंस सौदा रोकने का आदेश दिया था।
दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह के खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश के खिलाफ फ्यूचर की याचिका पर सुनवाई करते हुए 18 मार्च के उस आदेश पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी। मामले की सुनवाई अब 30 अप्रैल को होगी।
फ्यूचर समूह के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि अदालत ने एकल पीठ के अंतरिम आदेश पर भी रोक लगा दी, जिस पर उच्चतम न्यायालय ने रोक नहीं लगाई थी। साल्वे ने कहा, ‘इस मामले में उल्लंघन हुआ है। हमें लगा था कि एकल जज ने ठोस कारणों के आधार पर आदेश दिया होगा… सर्वोच्च न्यायालय ने विशेष अनुमति याचिका पर निर्देश दिया था कि एनसीएलटी में सभी सुनवाई चल सकती है। ऐसे में एकल पीठ के आदेश पर रोक लगनी ही चाहिए।’ एमेजॉन की ओर से उतरे वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम ने तर्क दिया कि एकल पीठ के मामले को आगे के निर्देश के लिए सर्वोच्च न्यायाल के संज्ञान में लाना चाहिए।
एमेजॉन के वकील की दलील थी कि मामला सर्वोच्च न्यायालय में है और एमेजजॉन ऐसा कुछ नहीं करेगी, जो सर्वोच्च अदालत के आदेश के प्रतिकूल हो। फ्यूचर ने कहा कि एमेजॉन की ओर से दायर विशेष अनुमति याचिका सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है, ऐसे में खंडपीठ ने शीर्ष अदालत के आदेश को भी ध्यान में रखा, जिसमें कहा गया था कि एनसीएलटी फ्यूचर-रिलायंस सौदे पर सुनवाई जारी रख सकती है लेकिन अंतिम आदेश पारित नहीं कर सकती है। बियाणी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील इकबाल चागला का तर्क था कि जब मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है तो एकल पीठ को आदेश पारित नहीं करना चाहिए था, खास तौर पर तब जब खंडपीठ ने उसके पहले के आदेश पर रोक लगा दी थी।
उन्होंने कहा कि एकल पीठ ने इस तरह का प्रतिकूल आदेश पारित करते समय खंडपीठ और सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों को ध्यान में नहीं रखा।पिछले हफ्ते एकल पीठ ने फ्यूचर-रिलायंस सौदे मामले में अपात मध्यस्थता आदेश बरकरार रखा था। इसके साथ ही फ्यूचर रिटेल को सौदे पर आगे बढऩे से रोकते हुए जुर्माने के तौर पर समूह को प्रधानमंत्री राहत कोष में 20 लाख रुपये जमा कराने का भी आदेश दिया था।
पीठ ने आपात आदेश का उल्लंघन करने के मामले में किशोर बियाणी और अन्य को दोषी ठहराते हुए कारण बाताओ नोटिस जारी कर पूछा था कि उन्हें क्यों नहीं हिरासत में लेना चाहिए।एकल पीठ ने फ्यूचर रिटेल को रिलायंस संग सौदे मामले में सभी प्राधिकरणों से मिली मंजूरियों को वापस लिए जाने के लिए संपर्क करने का भी निर्देश दिया था। पीठ ने किशोर बियाणी की संपत्तियों को जब्त करने का भी आदेश दिया था।