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‘पेगासस संबंधी खबरें सही तो आरोप गंभीर’

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 2:06 AM IST

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि अगर पेगासस सॉफ्टवेयर से जासूसी कराने संबंधी समाचार माध्यमों में प्रकाशित खबरें सही हैं तो यह एक गंभीर आरोप है। दूसरी तरफ पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने फिर कहा कि लोगों पर निगरानी रखने एवं उनकी जासूसी कराने के आरोप निराधार हैं। भाजपा नेता ने ऑनलाइन माध्यम से आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘विपक्ष के पास अपने आरोप सिद्ध करने के लिए कोई साक्ष्य नहीं है। संसद के मॉनसून सत्र के ठीक पहले कुछ लोगों ने एक सोची-समझी साजिश के तहत यह मामला उछाला है।’ इस बीच, कानूनी मामलों की खबर देने वाले समाचार पोर्टल लाइवलॉ के अनुसार शीर्ष न्यायालय ने इस मामले में दायर नौ याचिकाओं का पक्ष रखने वाले वकीलों को याचिकाओं की प्रति भारत सरकार को भी देने का निर्देश दिया है। न्यायालय ने कहा कि 10 अगस्त को इस मामले की अगली सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से नोटिस स्वीकार करने के लिए कोई उपस्थित रहना चाहिए। इन याचिकाओं में पेगासस से कथित जासूसी कराने के आरोपों की जांच कराने का अनुरोध किया गया है।
मुख्य न्यायाधीश एन वी रमण ने कहा, ‘इस संबंध में जो खबरें आ रही हैं अगर उनमें सच्चाई है तो फिर जासूसी के आरोप गंभीर हैं।’ रमण ने यह भी पूछा कि पेगासस मामले पर अब क्यों याचिकाएं दायर हो रही हैं जबकि इससे जुड़ा मामला 2019 में भी सामने आया था। मुख्य न्यायाधीश ने यह भी पूछा कि जिन लोगों की जासूसी हुई थी उन लोगों ने प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं कराई थी। एन वी रमण और न्यायमूर्ति सूर्यकांत के पीठ ने इन याचिकाओं पर नोटिस जारी नहीं किया लेकिन उसने इन याचिकाओं में से एक याचिका में (प्रधानमंत्री को) व्यक्तिगत रूप से पक्षकार बनाए जाने पर आपत्ति जताई।
लाइवलॉ ने खबर दी है कि पत्रकार रूपेश कुमार सिंह और ईप्सा शताक्षी की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने कहा कि वर्तमान कानून के तहत प्राथमिकी दर्ज कराने का प्रावधान नहीं है। रूपेश और ईप्सा के नाम भी उन लोगों की सूची में शामिल हैं जिनकी कथित रूप से जासूसी कराई गई है।
याचिकाएं अब दायर होने के मसले पर वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि हाल के आरोपों के बाद ही यह स्पष्ट हो पाया है कि किस सीमा तक लोगों की गतिविधियों पर अवैध नजर रखी गई थी। सिब्बल ने कहा कि लोगों के पास संबंधित सामग्री तक पहुंचने का कोई जरिया नहीं था क्योंकि पेगासस अपनी सेवाएं केवल सरकारों को ही देता है।
सिब्बल ने पीठ को बताया कि पहले याचियों की जानकारी तक पहुंच नहीं थी और पेगासस स्पाईवेयर केवल सरकार और उसकी एजेंसियों को बेचा जाता है।    उन्होंने कहा कि खबरों के अनुसार, पत्रकारों, प्रमुख हस्तियों, संवैधानिक पदाधिकारियों, न्यायालय के पंजीयक और अन्य को निशाना बनाया गया और अब सरकार से इस बारे में पूछा जाना चाहिए।
पूर्व इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना-प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने विपक्ष द्वारा लगाए गए जासूसी के आरोप पर सवाल उठाए हैं। प्रसाद ने कहा कि अपने आरोपों के पक्ष में विपक्ष के पास कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं है। उन्होंने कहा कि विपक्ष ने अब तक इस बात का कोई प्रमाण नहीं दिया है कि कुछ लोगों के फोन नंबर पर होने वाली बातचीत रिकॉर्ड करने के लिए जासूसी करने वाले सॉफ्टवेयर पेगासस का इस्तेमाल किया गया था। प्रसाद ने कहा, ‘हम इस विषय पर संसद में चर्चा करने के लिए तैयार हैं। प्रधामनंत्री ने जब इस विषय पर बयान दिया तो विपक्ष के लोगों ने संसद में शोर-शराबा शुरू कर दिया। विपक्ष के लोग इस विषय पर चर्चा कराने के लिए गंभीर नहीं हैं।’ सरकार ने इन आरोपों को खारिज किया है कि उसने कुछ लोगों के फोन पर हुई बातचीत और जानकारियां चुराने के लिए पेगागस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया है। जिन लोगों की जासूसी कराने के आरोप लगाए गए हैं उनमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी, राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर और नए आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव के नाम भी शामिल हैं। इससे पहले संसद में वैष्णव ने कहा था कि सरकार द्वारा इस तरह की जासूसी कराना संभव नहीं है। अक्टूबर 2019 में व्हाट्सऐप ने पेगासस नाम से सॉफ्टवेयर बनाने और इसकी बिक्री करने वाली इजराइल की कंपनी एनएसओ ग्रुप के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। व्हाट्सऐप के अनुसार इस सॉफ्टवेयर ने 1,400 लोगों की जासूसी करने के लिए फे सबुक नियंत्रित मेसेजिंग प्लेटफॉर्म का बेजा इस्तेमाल किया था। व्हाट्सऐप के अनुसार इस सूची में 121 भारतीय भी थे।   (साथ में एजेंसी)
 

First Published : August 6, 2021 | 12:13 AM IST