भारत में सामान एवं सेवा कर (जीएसटी) के विशेषज्ञो में इसे लेकर चिंता बरकरार है कि सामान और सेवाओं के पंजीकरण के लिए सीमा एक ही जैसी होनी चाहिए। मैं इस स्तंभ में आपको यह बताने जा रहा हूं कि ऐसे पंजीकरण के लिए एक समान सीमा नहीं होनी चाहिए।
कई वर्षों से जीएसटी के साथ सफलतापूर्वक काम कर रहे कई प्रमुख देशों में भी ऐसा नहीं है। वहां जीएसटी में पंजीकरण, छूट और अन्य उद्देश्यों के लिए अलग-अलग सीमाएं हैं। भारत में दोहरा जीएसटी होगा। मैं सेंट्रल जीएसटी और स्टेट जीएसटी दोनों के लिए एक ही जैसी या अलग-अलग सीमाओं के बारे में चर्चा कर रहा हूं।
दोनों ही कर अभी लागू होने बाकी हैं। स्टेट वैल्यू एडेड टैक्स (वैट) में केवल एक ही सीमा होगी, क्योंकि इसमें सिर्फ सामान को शामिल किया गया है और सेवाओं को इसके दायरे से अलग रखा गया है। अगर कुछ सेवाओं को वैट में शामिल किया जाता है तो राज्य सरकारों द्वारा (संशोधन के बाद) इन सेवाओं पर कर लगाया जाएगा।
ऐसी स्थिति में सामान और सेवाओं के लिए एक ही जैसी सीमा होने का सवाल उठेगा। सेंट्रल जीएसटी मौजूदा केंद्रीय उत्पाद शुल्क (सामान कर), जिसे सेनवैट के नाम से भी जाना जाता है, और सेवा कर का समावेश होगा।
केंद्रीय उत्पाद शुल्क की मौजूदा सीमा उन छोटी फर्मों से नीचे है, जिन्हें पंजीकरण कराने की जरूरत नहीं है और इन्हें 90 लाख रुपये तक की सीमा पर पूरी छूट हासिल है। सेवा कर के लिए, यह 10 लाख रुपये है।
अंतरराष्ट्रीय अनुभव की बात करें तो पता चलता है कि कई प्रमुख देशों में सामान और सेवाओं के लिए कर सीमाएं अलग-अलग हैं। (तालिका में देखें) सामान और सेवाओं के लिए अलग-अलग सीमाओं के अलावा सभी देशों में डिस्टैंस-सेलिंग और इंट्रा-कम्युनिटी खरीद के लिए भी अलग-अलग सीमा है।
तालिका में शामिल देशों में चार अंतर हैं। फ्रांस के उदाहरण में सीमाएं हैं (ए) सामान के लिए सालाना कारोबार के लिए सामान्य सीमा 76,300 पौंड। (बी) सेवाओं के लिए सालाना कारोबार के लिए सामान्य सीमा 27,000 पौंड। (सी) डिस्टैंस सेलिंग के लिए सीमा 1,00,000 पौंड और (डी) इंट्रा-कम्युनिटी खरीद के लिए सीमा 10,000 पौंड।
इसके अलावा सामान्य सीमा की शरते भी सभी देशों में अलग-अलग हैं। जहां कुछ देशों में आय कर भुगतान या अपेक्षित कारोबार भी इसमें रखा गया है, वहीं कुछ देशों में स्वैच्छिक पंजीकरण भी स्वीकार्य है।
यह सही है कि यूरोपीय यूनियन (ईयू) एक देश नहीं है, लेकिन यूरोपीय यूनियन के लिए छठे निर्देश ने कई सिद्धांत और प्रक्रियाएं सुनिश्चित की हैं। मुख्यत: सीमा एक अपवाद है, क्योंकि इनके बीच आर्थिक विकास के स्तर में अंतर है। ब्रिटेन इस मामले में अन्य देशो से अलग है। ब्रिटेन में यह सीमा 82,800 पौंड है जो अन्य देशों से काफी अधिक है।
कहने का मतलब है कि केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर भारत में जीएसटी की रूपरेखा में तात्कालिक चिंता सामान और सेवाओं के लिए एक जैसी सीमा बनाए जाने की जरूरत को लेकर नहीं होगी।
इस सीमा को अलग-अलग रखा जा सकता है, लेकिन भारत में मौजूदा अंतर भी काफी अधिक है। दुनिया में ज्यादातर देशों में सामान और सेवाओं के लिए एक मिश्रित सीमा है जो बेहद सुविधाजनक है और कार्यान्वयन के लिहाज से बेहद आसान भी है।