Categories: कानून

‘दिल्ली को कम ऑक्सीजन क्यों’

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 5:21 AM IST

दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र से गुरुवार को पूछा कि मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र को मांग से ज्यादा ऑक्सीजन क्यों मिल रही है जबकि राष्ट्रीय राजधानी को कोविड-19 के मरीजों के उपचार के लिए आवश्यक मात्रा में भी ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है?
न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली के पीठ ने यह स्पष्ट किया कि इसका यह मतलब नहीं है कि अदालत दिल्ली को अधिक ऑक्सीजन दिलाना चाहती है और यह भी कि अन्य राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों के लिए आवंटित कोटे की कीमत पर दिल्ली को ऑक्सीजन आंवटित हो। दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी को प्रतिदिन 700 टन ऑक्सीजन की जरूरत है जबकि उसे 480 और 490 टन ही आवंटित किया गया है और केंद्र ने इसे बढ़ाया भी नहीं है।
मेहरा और वरिष्ठ अधिवक्ता राज शेखर राव ने अदालत को सूचित किया कि राष्ट्रीय आवंटन योजना के अनुसार महाराष्ट्र को प्रतिदिन 1,500 टन ऑक्सीजन की आवश्यकता है जबकि उसे 1,661 टन आवंटित किया गया है। इसी तरह मध्य प्रदेश ने 445 टन की मांग की थी लेकिन उसे 543 टन ऑक्सीजन दी गई। इसी तरह कई अन्य राज्यों के साथ भी यही स्थिति है। वरिष्ठ अधिवक्ता राज शेखर राव मामले में न्यायमित्र हैं।
अदालत ने कहा कि यदि दी गई सूचना सही मान ली जाए तो ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार को इस पर अपना रुख बताने की आवश्यकता है और अदालत ने केंद्र सरकार को इस पर जवाब देने के लिए एक दिन का समय दे दिया। उच्च न्यायालय ने कहा कि केंद्र को या तो इस पर स्पष्टीकरण देना होगा या इसमें संशोधन करना होगा। केंद्र की ओर से पेश हुए सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार अदालत के सवाल पर हलफनामा देगी और मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र को अधिक ऑक्सीजन देने का कारण बताएगी। मेहता ने कहा, ‘ऐसे राज्य हैं जिन्हें मांग से कम आपूर्ति की गई है। हम इसकी तर्कसंगत व्याख्या करेंगे।’
सुनवाई के दौरान अदालत ने केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी से जब पूछा कि दिल्ली को कम और मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र को मांग से ज्यादा ऑक्सीजन क्यों दी जा रही है, इस पर मेहता ने कहा कि मध्य प्रदेश की आबादी राष्ट्रीय राजधानी से अधिक है। इस पर अदालत ने अधिकारी से कहा, ‘फिर आप मध्य प्रदेश के कोटे से काटकर इसे दिल्ली को दे दीजिए। यह मध्य प्रदेश में कुछ जिंदगियों की कीमत पर होगा लेकिन दिल्ली के लिए भी तो होना चाहिए।’
अदालत ने कहा, ‘इसे इस तरह मत लीजिए कि हम दिल्ली के लिए कुछ अतिरिक्त करने के लिए कह रहे हैं। इसे इस तरह से पेश मत कीजिए। हम ऐसा नहीं चाहते। हम बस तथ्यों और आंकड़ों के आधार पर आपसे ऐसा कह रहे हैं। आप इस पर भावुक नहीं हो सकते। आपको इस पर कदम उठाने की जरूरत है। आप इससे भाग नहीं सकते।’
वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने अदालत के समक्ष एक सूची रखी जिसमें विभिन्न राज्यों द्वारा की गई ऑक्सीजन की मांग और उन्हें की गई आपूर्ति का ब्योरा था।    

First Published : April 29, 2021 | 11:22 PM IST