अगले सप्ताह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में नीतिगत दर में 50 आधार अंकों की वृद्धि की उम्मीद की जा रही है, ऐसे में तेज प्रतिस्पर्धा के बीच जमा आकर्षित करने के लिए बैंक एक बार फिर जमा दरों में बढ़ोतरी करने की संभावना तलाश रहे हैं।
बैंकरों ने कहा कि नीतिगत दरों में 50 आधार अंक की और बढ़ोतरी हो सकती है, ऐसे में सावधि जमा के लिए कवायद तेज हो सकती है, जिसमें बड़े आकार के सर्टिफिकेट्स आफ डिपॉजिट (सीडी) शामिल हैं। इसमें ब्याज दरें 100 आधार अंक (1 प्रतिशत) बढ़ सकती हैं।
जून तिमाही में कर्ज की उठान ज्यादा थी। यह ऐसा वक्त होता है जब मांग कम रहती है। ऐसे में कर्ज और जमा में वृद्धि का अंतर बढ़ रहा है। इससे संसाधनों पर और दबाव पड़ रहा है। बैंक ऋण जहां 1 जुलाई तक पिछले साल की तुलना में 14.4 प्रतिशत बढ़ा है, वहीं जमा में 9.8 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
रेटिंग एजेंसी इक्रा ने हाल की अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जमा में वृद्धि अभी पीछे है। बैंकों की नकदी का अधिशेष आने वाले महीनों में और घटने की संभावना है। उसके बाद उन्हें आक्रामक रूप से जमा आकर्षित करना होगा, जिसकी वजह से जमा दरें बढ़ेंगी।
इक्रा में फाइनैंशियल सेक्टर रेटिंग में सेक्टर हेड अनिल गुप्ता ने कहा कि जमा पर ब्याज दरों में वृद्धि इस पर भी निर्भर होगा कि रिजर्व बैंक रीपो रेट कितना रखता है। अगर एक साल के ट्रेजरी बिल पर दिसंबर तक 7 प्रतिशत ब्याज होता है तो इतनी ही परिपक्वता की सावधि जमा की दरें निश्चित रूप से 7 प्रतिशत के ऊपर जाएंगी।