कच्चे तेल की कीमत 47 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर अपने सबसे निचले स्तर से ऊंची दिखाई दे रहीं थी, लेकिन अब वे 147 डॉलर के उच्चतम स्तर से काफी नीचे जा रही हैं।
यह 2,021 करोड़ रुपये की अबान ऑफशोर की किस्मत को प्रभावित कर सकता है। कंपनी के पास ऑयल रिग और जेक अप हैं जो छिछले पानी में तेल खनन के काम आते हैं।
उसने 2006 में सिनवेस्ट एएसए और गहरे पानी में खनन के क्षेत्र में उतरने के लिए बुलफोर्ड डॉल्फिन का अधिग्रहण किया था। कंपनी के लिए हाल के समय तक सब कुछ ठीक था जब कच्चे तेल की मांग में कमजोरी आना शुरु हुई थी।
लेकिन अब लगता है कि तेल कंपनियां तेल एक्सप्लोरेशन और प्रोडक्शन के आवंटित व्यय को रोकने के लिए मजबूर होंगी। इसके मायने हैं जेक अप की मांग कम होना जो एबन के पोर्टफोलियो में एक मेजर कंपोनेंट है।
विशेषज्ञों का कहना है कि तेल कंपनियों द्वारा नवंबर और दिसंबर में अपने कैपेक्स प्लान का अवलोकन किया जाता है इसलिए जेक अप की दर में 2009 में 18-20 फीसदी की गिरावट आ सकती है।
अगर कंपनियां अवलोकन में व्यय कम करने का निर्णय लेती हैं तो अबान के शॉर्ट टर्म कांट्रेक्ट (छह से नौ माह) का नवीनीकरण कम दरों पर हो सकता है।
इसके अतिरिक्त आने वाले सालों में कंपनी में नई एसेट जुड़ेंगी जिससे अबान जैकअप द्वारा अर्जित दर में कमी आ सकती है। अभी तक यह दर अच्छी स्थिति में है।
इसके साथ रुपये के अवमूल्यन की मदद से अबन 2008-09 की पहली छमाही में अपने राजस्व में 99 फीसदी की बढ़ोतरी कर 1,573 करोड़ रुपये करने में सफल रहा।
अगर कांट्रेक्ट कम दरों पर पर होता है तो स्थितियां बदल सकती हैं। इसलिए इस साल कंपनी द्वारा अर्जित राजस्व में 2007-08 के समान रहने की उम्मीद नहीं है जब इसमें 181 फीसदी का इजाफा हुआ था।
2007-08 में कंपनी शुध्द लाभ 123 करोड़ रुपये रहा। जबकि जारी वर्ष की पहली छमाही में सितंबर तक यह मुनाफा 392 करोड़ रुपये रहा। हालांकि इस वृध्दि में दूसरी आय का भी योगदान है।