सार्वजनिक पेशकश बाजार में छाई वैश्विक मंदी के बीच भारतीय कंपनियों की वैकल्पिक निवेश बाजार (एआईएम) में खुद को सूचीबध्द करने की भूख भी खत्म होती जा रही है।
कभी छोटी एवं मझोली कंपनियों के सूचीबध्द होने की सबसे पसंदीदा जगह रहे लंदन के वैकल्पिक निवेश बाजार में इस साल अब तक चार कंपनियों ने ही खुद को सूचीबध्द किया है जबकि पिछले साल के इस समय के दौरान यह संख्या 21 थी। यह बाजार उन कंपनियों के लिए अच्छा प्लैटफार्म देता है जो भारतीय बाजार में सूचीबध्द हुए बिना बाहर के इस बाजार से पैसा जुटाना चाहती हैं।
कई कंपनियों ने कर छूट का लाभ लेने के लिए केमैन आइलैंड जैसी जगहों से लंदन के बाजार से पैसा उगाहा है। हालांकि दुनिया भर में इक्विटी बाजार में आई तेज गिरावट का असर इस बाजार पर भी पड़ा है। कुछ सेक्टर जैसे रियल एस्टेट पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है और इन कंपनियों का मूल्यांकन (वैल्यूएशन) आधे भी ज्यादा गिर गया है।
इंडियन फिल्म कंपनी और हिरको का कारोबार उनके पेशकश कीमत से क्रमश: 28.49 फीसदी और 28.20 फीसदी निचले स्तर पर हो रहा है। एफटीएसई के वैकल्पिक निवेश बाजार के सभी सूचकांक 25 फीसदी से भी ज्यादा गिर गए हैं। विश्लेषकों का यह भी मानना है कि इस बाजार को छोटे बाजारों से जैसे सिंगापुर के कैटालिस्ट से कड़ी प्रतियोगिता का सामना करना पड़ रहा है।
एआईएम के साथ दूसरी समस्या यह है कि इसमें तरलता कम होती है। एआईएम पर औसतन महीने की तरलता सात फीसदी रही जबकि सिंगापुर के कैटालिस्ट में यह 17 फीसदी रही। लेकिन एआईएम पर उतार-चढ़ाव के कम होने की वजह से इसकी ओर निवेशक आकर्षित होते हैं। एआईएम में सूचीबध्द होने की शर्तें भी काफी कम है।
इसमें ट्रैक रिकार्ड की जरूरत नहीं होती है और किसी न्यूनतम बाजार पूंजीकरण की आवश्यकता नहीं होती है। कुछ बड़े निवेशक जैसे हेज फंड और पेंशन फंड भी इस बाजार में जगह बनाते हैं लेकिन जब से तरलता कम हुई है, उनको मिलने वाले ब्याज में तेजी से गिरावट आई है।