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एफएमपी का आकर्षण घटेगा

Last Updated- December 08, 2022 | 7:41 AM IST

क्लोज एंडेड फंड में समय से पहले यानी प्रीमेच्योर एक्जिट पर रोक लगाने के सेबी के फैसले से फिक्स्ड मेच्योरिटी प्लान के प्रति निवेशकों का आकर्षण कम होगा।


ऐसा मानना है विशेषज्ञों का। इस समय फिक्स्ड मेच्योरिटी प्लान (एफएमपी) जैसे क्लोड एंडेड फंडों से मेच्योरिटी से पहले निकलने वाले निवेशकों को एनएवी का केवल 2 से 6 फीसदी लोड के रूप में देना होता था लेकिन नए नियमों के तहत उन्हें लिस्टिंग के बाद शेयर बाजार के जरिए बेचना होगा।

अहम बात यह है कि इस तरह की स्कीमों का कोई सेकेन्डरी बाजार नहीं है लिहाजा जो भी निवेशक इसे बेचना चाहेगा उसे पहले खरीदार ढूंढना होगा और अगर स्कीम माना कि एक साल बाद मेच्योर हो रही है तो उसे खासे डिस्काउंट पर उसे बेचना होगा।

विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि यह लाभ लेने के लिए कई रीटेल निवेशक किसी ब्रोकर के पास पंजीकृत नहीं होंगे।

सेबी के इस फैसले से एक लाख करोड़ की कैटेगरी की एफएमपी सबसे ज्यादा प्रभावित होंगी क्योंकि कई निवेशक यह मान कर इन स्कीमों में निवेश करते हैं कि वह कभी भी इससे निकल सकते हैं ।

पिछले कुछ महीनों में कई निवेशकों ने ऐसा किया भी है। इन महीनों में इन एफएमपी का ऐवरेज असेट अंडर मैनेजमेंट (एएयूएम)करीब 30,500 करोड़ रुपए से गिरा है। ऐसा लगता है कि सेबी ने इस बात पर भी गौर किया है।

बिरला सनलाइफ म्युचुअल फंड के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफीसर ए बालसुब्रमणियम के मुताबिक इससे फंड मैनेजरों को निवेशक की जरूरत के मुताबिक पोर्टफोलियो बनाने में मदद मिलेगी।

उन्होने कहा कि हम 1996-99 के दौर में चले जाएंगे जब ओपन एंडेड डेट फंडों में निवेशक को ब्याज दरों का जोखिम बना रहता था और क्लोड एंडेड स्कीमों में रिटर्न तय होते थे।

कुछ फंड मैनेजरों का मानना है कि बेहतर विकल्प होता अगर एक्जिट लोड बढ़ा दिया जाता क्योकि इससे निवेशक प्रीमेच्योर पैसा निकालने से बचते। लेकिन इन स्कीमों को पूरी तरह से गैर तरल यानी इल्लिक्विड बनाने से निवेशक इससे पूरी तरह कतराएंगे।

द एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स (एम्फी) ने पिछले हफ्ते अपने एक डिस्कशन पेपर में सुझाव दिया था कि इस स्कीमों पर एक्जिट लोड बढ़ा दिया जाए बजाए इनकी लिस्टिंग करने के, क्योकि इससे इनकी तरलता खत्म हो जाएगी।

एसबीआई म्युचुअल फंड के हेड (फिक्स्ड इनकम) परिजात अग्रवाल के मुताबिक नई परिस्थितियों में एफएमपी में भारी निवेश करने वाली कंपनियों को अपनी लिक्विडिटी का बेहतर असेसमेंट करना होगा।

बिरला सन लाइफ के बालसुब्रमणियम के मुताबिक सेबी का यह कदम बांड फंड बाजार को पुनर्जीवित कर सकता है क्योकि लंबी अवधि के निवेशक उसमें पैसा लगाना बेहतर समझेंगे।

First Published - December 5, 2008 | 9:07 PM IST

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