कमजोर मांग, ऊंची ब्याज दरों को दिक्कतों और फाइनेंस की दिक्कतों के चलते ऑटोमोबाइल कंपनियों के वॉल्यूम की बिक्री के कम रहने केआसार हैं। इसके लिए कच्चे माल की कीमतों केबढ़ने से उनके लाभ पर भी प्रभाव पड़ने की संभावना है।
हालांकि लोअर बेस की वजह से कुछ कंपनियों के वॉल्यूम की बिक्री संतोषजनक हो सकती है। लेकिन कंपनियों को जून 2008 की तिमाही में ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन में कमी का सामना करना पड़ सकता है। वाणिज्यिक वाहने बनाने वाली कंपनियों के राजस्व ग्रोथ केईकाई अंकों में रहने की संभावना है। इसकी वजह है कि उद्योग का वॉल्यूम सिर्फ 10 फीसदी रहा।
28,553 करोड़ की टाटा मोटर्स ने पहली तिमाही में अपने वाहनों की बिक्री में धीमी प्रगति हुई और यह महज 3.5 फीसदी बढ़ा। हालांकि कंपनी के हल्के और भारी वाहनों की बिक्री अच्छी रही और दोनों सेगमेंट में कंपनी ने क्रमश: 15.6 फीसदी और 18 फीसदी बढ़त दर्ज की। हालांकि कंपनी केइंडिका मॉडल की बिक्री पिछले साल की तुलना में कम रही। ऑपरेटिंग प्रॉफिट में 1.5 फीसदी की गिरावट की वजह से कंपनी के शुध्द लाभ पर भी प्रभाव पड़ा।
7,729 करोड़ की अशोक लीलैंड केट्रक और बस वॉल्यूम में 1.5 फीसदी की धीमी प्रगति हुई। इसके अतिरिक्त चेन्नई की इस कंपनी के ऑपरेटिंग प्रॉफिट में दो फीसदी की कमी आ सकती है। जिसकी वजह ऊंची लागत और वेज बिल है। हालांकि दुपहिया कंपनियों ने पिछली तिमाही की अपेक्षा 11 से 12 फीसदी ज्यादा वॉल्यूम की बिक्री की। हीरो हाँडा जिसकी हिस्सेदारी 50 फीसदी है,की टॉपलाइन बढ़त में अगली तिमाही में 16 फीसदी की बढ़ोतरी होने की संभावना है जिसकी वजह लो बेस है लेकिन शादी का माहौल होन की वजह कंपनी के बिक्री के बेहतर रहने की उम्मीद है।
10,331 करोड़ की इस कंपनी के मार्जिन में एक फीसदी से लेकर 1.5 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो सकती है। कंपनी ऊंचें लाभ वाली बाईक की अच्छी बिक्री कर सकती है। इसके अतिरिक्त कंपनी ने प्रमोशन और डिस्काउंट पर होने वाले अपने खर्चों में कटौती की है। 9,169 करोड़ के बजाज ऑटो का वॉल्यूम इस तिमाही में 12 फीसदी की गति से बढ़ा। हालांकि कंपनी ने तिपहिया कारोबार को अच्छा खासा नुकसान पहुंचा जिससे आगे राजस्व एक अंकों में रहने की संभावना है।
कच्चे माल में आने वाली लागत के बढ़ने की वजह से कंपनी केलाभ में दो फीसदी की कमी आ सकती है। हालांकि कंपनी 100 सीसी की लोअर मार्जिन बाइक से पीछा छुड़ाने का प्रयास कर रही है जबकि इस सेगमेंट की कंपनी के राजस्व में अच्छी खासी हिस्सेदारी है। देश की सबसे बडी क़ार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी की ग्रोथ केदोहरे अंकों में रहने के आसार हैं। 18,478 करोड़ की मारुति सुजुकी के वॉल्यूम की बिक्री के इस बार बेहतर रहने की संभावना है। इसके बावजूद भी कि कंपनी अपने कुछ मॉडल की कीमत बढ़ा सकती है।
ऑटो स्टॉक का कारोबार वित्त्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय से सात से 12 गुना के स्तर पर हो रहा है। हालांकि अभी कुछ समय तक इन स्टॉक के मंदे रहने की संभावना है जब तक कि ब्याज दरों और मांग में स्थिरता नही आती है। मौजूदा बाजार मूल्य 404 रुपए पर टाटा मोटर्स केस्टॉक का कारोबार वित्त्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय से 8 गुना से भी कम स्तर पर हो रहा है।
30 रुपए पर अशोक लीलैंड के स्टॉक का कारोबार वित्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय से 7.5 गुना के स्तर पर हो रहा है। 729 रुपए पर हीरो हाँडा का कारोबार वित्त्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय से 13 गुना के स्तर पर जबकि बजाज ऑटो का कारोबार 450 रु पर 7.6 गुना के स्तर पर हो रहा है। 588 रु पर मारुति के स्टॉक का कारोबार डिस्काउंटेड प्राइस पर हो रहा है।