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बैंक निकले बेदर्द, न दिया कर्ज

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 08, 2022 | 9:41 AM IST

अक्टूबर और नवंबर महीने की शुरुआत में म्युचुअल फंड कंपनियों पर जमाकर्ताओं की ओर से पैसे निकालने का दबाव इतना अधिक था कि इन कंपनियों ने नकदी की किल्लत दूर करने के लिए 11 से 24 फीसदी की दर पर रकम उठाई।


भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की रिपोर्ट के अनुसार एक फंड हाउस ने तो एक दिन 39 फीसदी की दर पर और दूसरे दिन 46 फीसदी की दर पर उधार लिया है। सेबी ने सोमवार को अपनी बेवसाइट पर यह जानकारी दी है।

भारतीय रिजर्व बैंक ने म्युचुअल फंड उद्योग को ऋण उपलब्ध कराने के लिए बैंकों के लिए 14 दिनों तक एक रेपो विंडो खोला था। 15 अकटूबर से खोले गए इस विंडों के जरिए बैंकों को 20,000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए गए थे। पर इन सब के बाद भी म्युचुअल फंड घरानों को काफी ऊंची दर पर ऋण लेना पड़ा है।

साथ ही सरकारी बैंक इन कंपनियों से निजी बैंकों के जमा प्रमाणपत्र (सीडी) और कमर्शियल पेपर भी स्वीकार नहीं कर रहे थे। स्थिति में सुधार आना तब शुरू हुआ जब नवंबर में एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एमफी) के प्रतिनिधियों ने इस सिलसिले में वित्त मंत्री और भारतीय बैंक संगठन से मुलाकात की।

तब जाकर सरकारी बैंकों ने म्युचुअल फंड उद्योग को 11 फीसदी की दर पर ऋण देना शुरू किया। उसके बाद ही बैंकों ने निजी बैंकों के जमा प्रमाणपत्र स्वीकार करना शुरू किए।

साथ ही कमर्शियल कागजात को खरीदने को लेकर भी समझौता हुआ हालांकि, इसके लिए दर क्या रहेगी यह अलग अलग मामलों में अलग अलग रहने की बात कही गई।

इस रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर में लिक्विड योजनाओं के साथ डेट योजनाओं से 48,478 करोड़ रुपये खींचे गए हैं जबकि, अकटूबर 2007 में म्युचुअल फंडों में 50,678 करोड़ रुपये जमा कराए गए थे।

चोटी के पांच म्युचुअल फंडों पर नजर दौड़ाएं तो पता चलता है कि डेट और लिक्विड योजनाओं में मौजूद कुल संपत्तियों में से 45 फीसदी सीडी, 23 फीसदी डिबेंचर, 17.4 फीसदी प्रमाणपत्रों (पीटीसी) और 9 फीसदी कर्मिशयल पेपर के तौर पर हैं।

सेबी की इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि म्युचुअल फंडों से पैसे निकालने की एक वजह यह रही है कि बैंक कारोबारी क्षेत्र को ऋण देने से कतराते रहे हैं। लोगों ने म्युचुअल फंडों से पैसे निकाल कर बैंकों में फिक्स्ड डिपोजिटों में लगाना शुरू कर दिया था ताकि उन्हें अधिक ब्याज मिल सके।

First Published : December 16, 2008 | 9:07 PM IST