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ऑटो-ब्याज दरों से ब्रेक

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 3:04 PM IST

ऑटो कंपनियों के लिए यह समय काफी परेशानी वाला है। देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी के कारों की बिक्री इस साल के जुलाई महीने में भी वही बिक्री हासिल की जो पिछले साल के जुलाई महीनें में हासिल की थी।


टाटा मोटर्स के लिए भी यह महीना बेहतर नहीं रहा और कंपनी ने पिछले साल के इस महीनें की तुलना में कम वाहन और पैसेंजर कार बेची। बजाज ऑटो केदुपहिया वाहनों की बिक्री महज चार फीसदी ज्यादा रही। इसकेअलावा महिंद्रा एंड महिंद्रा द्वारा अपने वाहनों के दामों की गई बढ़ोतरी को अच्छा कदम नहीं कहा जा सकता है क्योंकि कंपनी की बिक्री में आठ फीसदी की तेज गिरावट देखी गई।

लेकिन दूसरी ओर हीरो होंडा ने जोरदार प्रदर्शन किया और उसके वॉल्यूम की बिक्री 40 फीसदी ज्यादा रही। हालांकि इसकी वजह लो बेस रही। हालांकि प्रतियोगी कंपनी टीवीएस ने भी बहुत खराब प्रदर्शन नहीं किया। उद्योगों के विश्लेषकों का कहना है कि इस खराब बढ़त की वजह ऊंची ब्याज दरें, तेल की कीमतों का बढ़ना और बढ़ती महंगाई है। जिसने ग्राहकों को किसी भी प्रकार की खरीदारी से दूर रहने से मजबूर किया।

फ्लीट ऑपरेटर्स भी नई मोटरसाइकिलों को खरीदने से दूर रहे इसकी वजह न सिर्फ कीमतों में बढ़ोतरी रही बल्कि तेल की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से परिचालन लागत भी बढ़ गया।  यहां तक की लोकप्रिय कारों जैसे स्विफ्ट और वैगन आर भी ग्राहकों को आकर्षित करनें में कामयाब नहीं रहीं। इसकी तरह सैंट्रो और आई टेन की बिक्री भी अच्छी नहीं रही। हुंडई की कारों की बिक्री घरेलू बाजार मे महज 0.4 फीसदी ज्यादा रही। नए मॉडल की अनुपस्थिति से टाटा मोटर्स को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा। इंडिका की बिक्री में भी 27 फीसदी की गिरावट देखी गई।

यद्यपि इंडिगो की बिक्री बढ़ी और उसकी बिक्री में 79 फीसदी की सालाना बढ़त देखी गई। लेकिन इसकी वजह भी लो बेस प्रभाव ही रहा। जबकि ए स्टार से मारुति का भाग्य बदल सकता है। मैन्यूफैक्चरर्स जिन्होंने लागत बढ़ने की वजह से कीमतों में बढ़ोतरी की थी, उन्हें भविष्य में और चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। महिंद्रा एंड महिंद्रा को भी संभावना है कि नए वाहन इंजेनियों की बिक्री से कंपनी अपनी बिक्री बढ़ा लेगी। घरेलू बाजार में पैसेंजर कार सेगमेंट अप्रैल से जून तिमाही के दौरान 12 फीसदी की रफ्तार से बढ़ा लेकिन यह फेस्टिव सीजन शुरु होने के पहले घट सकता है।

टाटा मोटर्स के प्रबंधन का कहना है कि उन्होंने ने सीवीस की मांग में अभी तक कमी नहीं देखी है। इसके अलावा उन्हें कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद बिक्री में बढ़ोतरी होने का भरोसा है। टाटा मोटर्स के एलसीली की बिक्री जुलाई महीनें में बेहतर रही जबकि दूसरें सेगमेंट के वाहनों की बिक्री में गिरावट देखी गई। ऊंची ब्याज दरों की वजह से ट्रैक्टर की बिक्री में भी गिरावट देखी गई।

दक्षिणी राज्यों में कम वर्षा की वजह से भी मांग कम रही। महिंद्रा और महिंद्रा के ट्रैक्टर वॉल्यूम की बिक्री में जुलाई के महीनें में सालाना आधार पर एक फीसदी का सुधार देखा गया। मोटरसाइकिल सेगमेंट की बिक्री के इस बार पांच से छह फीसदी के करीब रहने की संभावना है। यद्यपि जून की तिमाही में घरेलू बाजार में बेहतर बढ़त देखी गई।

आईटीसी-घटा धुंआ

नॉन सिगरेट डिवीजन में जबरदस्त नुकसान और सिगरेट सेगमेंट से प्राप्त होने वाले लाभ के घटने से 13,948 करोड़ की आईटीसी के शुध्द लाभ में जून की तिमाही में चार फीसदी की गिरावट देखी गई। कंपनी को नॉन सिगरेट सेगमेंट जिसमें फूड, लाइफस्टाइल प्रोडक्ट और पसर्नल प्रोडक्ट शामिल हैं,में 123 करोड रुपयों का नुकसान हुआ।

जबकि पिछले साल की इसी तिमाही में कंपनी को 45 करोड़ का नुकसान हुआ था। इसप्रकार कंपनी की टॉपलाइन में 17.3 फीसदी का सुधार देखा गया जो कि पिछले सात तिमाहियों में सबसे ज्यादा है। हालांकि  कंपनी का ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन पांच फीसदी गिरकर 28.9 फीसदी पहुंच गया। कंपनी का इस तिमाही में ऑपरेटिंग प्रॉफिट 1,130 करोड़ पर पहुंच गया।

आईटीसी सिगरेट के ऊपर बढ़ाए गए करों से निपटने में सफल रही है और कंपनी ने इस कारोबार में 5.7 फीसदी की बढ़त हासिल की। वॉल्यूम की बिक्री में इसलिए कमी आई क्योंकि नॉन फिल्टर सिगरेट का समय जा चुका है। यह सीमित होकर तीन फीसदी पर आ गया है। अगर कुछ स्मोकर फिल्टर सिगरेट के ऑप्शन की ओर बढ़ना चाहेंगे तो आईटीसी फायदा पाने वाली कंपनियों में होगी। इसके अलावा तम्बाकू खाने वाली भारी जनसंख्या के सिगरेट की ओर रुख करने में परेशानी हो सकती है क्योंकि फिल्टर सिगरेट और तम्बाकू की कीमतों में पर्याप्त अंतर है।

इसके अतिरिक्त अपने कंज्यूमर डिवीजन में जून की तिमाही में कंपनी ने 28 फीसदी की बढ़त हासिल की। यह पहली बार है कि कंपनी ने 40 फीसदी से कम बढ़त हासिल की है। कंपनी का ब्रांडेड पैकेज सेगमेंट भी इस बार बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाया। इन सेगमेंट में कंपनी को नुकसान झेलना पड़ा। आईटीसी के होटल्स के कमरे भरे रहे। यह उसके आंकड़ों से भी दिखाई देता है। कंपनी के होटल कारोबार की टॉपलाइन में 17 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई और मार्जिन 3.8 फीसदी ज्यादा रहा।

हालाकिं यह तथ्य भी है कि मंदी की मार की वजह से होटल को घटते कारोबार का सामना करना पड़ रहा है। कंपनी के वित्त्तीय वर्ष 2009 के अंत तक 16,200 करोड़ का राजस्व प्राप्त होनें की संभावना है जबकि कंपनी 3,500 करोड क़ा शुध्द लाभ अर्जित कर सकती है। मौजूदा बाजार मूल्य 187 रुपए पर कंपनी के स्टॉक का कारोबार वित्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय से 20 गुना के स्तर पर हो रहा है।

First Published : August 5, 2008 | 10:33 PM IST