भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने ब्रोकरों द्वारा ग्राहकों के पैसे का इस्तेमाल कर बैंक गारंटी देने के चलन पर रोक लगा दी है। बाजार नियामक ने मंगलवार को कहा कि ऐसी व्यवस्था 1 मई से प्रतिबंधित होगी और सभी मौजूदा बैंक गारंटी 30 सितंबर तक निरस्त हो जाएंगी। यह पहल ग्राहकों की रकम एवं प्रतिभूतियों को ब्रोकरों द्वारा किसी भी दुरुपयोग की आशंका को खत्म करने के लिए बाजार नियामक द्वारा उठाए गए तमाम कदमों का हिस्सा है।
सैमको सिक्योरिटीज के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी जिमीत मोदी ने कहा, ‘यह बाजार नियामक सेबी द्वारा उठाया गया एक बड़ा कदम है क्योंकि ब्रोकर ग्राहकों के पैसे का उपयोग करते हुए काफी फायदा उठा रहे थे। इस परिपत्र के जरिये सेबी ने सुनिश्चित किया है कि अब ग्राहकों के पैसे का उपयोग करते हुए ब्रोकर फायदा नहीं उठा सकेंगे।’
बाजार नियामक ने कहा है कि अधिक बैंक गारंटी हासिल करने के लिए ग्राहकों के पैसे को बैंकों के पास गिरवी रखने का मौजूदा चलन बाजार और रकम दोनों को जोखिम में डालता है।
मोदी ने कहा, ‘इससे पहले यदि ग्राहक के खाते में 100 रुपये पड़े होते थे तो ब्रोकर 100 रुपये की सावधि जमा करते हुए उस पर 100 रुपये की अतिरिक्त बैंक गारंटी ले लेते थे। इस प्रकार उन्हें कुल 200 रुपये का लाभ मिलता था। ग्राहकों की रकम के जरिये मिलने वाली इस अतिरिक्त गारंटी का फायदा ब्रोकरों के बहीखाते को मिलता था।’
मोदी ने कहा कि ब्रोकर ग्राहकों के पैसे को सावधि जमा खाते में डालने के बाद उस पर अतिरिक्त बैंक गारंटी लेते थे।
उद्योग प्रतिभागियों ने पारदर्शिता लाने के लिए बाजार नियामक के इस फैसले का स्वागत किया है मगर उन्हें अपने बहीखाते पर दबाव बढ़ने की भी आशंका है।
Also Read: Adani bonds: अदाणी ग्रुप की निवेशकों के विश्वास को फिर से हासिल करने की तैयारी, उठाया ये बड़ा कदम
5पैसा (5paisa.) के मुख्य कार्याधिकारी (CEO) प्रकाश गगडानी ने कहा, ‘बाजार नियामक के इस कदम का तत्काल असर ब्रोकरों की कार्यशील पूंजी जरूरतों पर दिखेगा। अब ब्रोकरों को अपने आंतरिक संसाधनों से अथवा बाहरी उधारी के जरिये अतिरिक्त रकम की व्यवस्था करनी पड़ेगी। हालांकि इसे बहीखाते पर दबाव बढ़ेगा लेकिन इस निर्णय से हमारे बाजार को मजबूती मिलेगी और पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।’
मौजूदा बैंक गारंटी के बकाये को तत्काल प्राप्त नहीं किया जा सकेगा। स्टॉक एक्सचेंज और क्लियरिंग कॉरपोरेशन को इस प्रक्रिया पर निगरानी रखने की जिम्मेदारी दी गई है। उन्हें हर पखवाड़े ग्राहकों के पैसे से ली गई कुल बैंक गारंटी पर रिपोर्ट देनी होगी।
ब्रोकरों को निर्देश दिया गया है कि वे इस संबंध में किसी वैधानिक ऑडिटर द्वारा जारी प्रमाण पत्र 16 अक्टूबर तक जमा कराएं।