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क्या GMP से मिल सकता है IPO की सफलता का फॉर्मूला? जानें विशेषज्ञों की राय!

हाल के समय में कुछ मामलों में GMP ने शेयर की लिस्टिंग का सही संकेत नहीं दिया है।

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कुमार गौरव   
Last Updated- November 28, 2024 | 4:27 PM IST

निवेशक आमतौर पर किसी कंपनी के आईपीओ से पहले उसके शेयर का ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) देखकर अंदाजा लगाते हैं कि बाजार में इसकी मांग कैसी रहेगी और यह शेयर सेकेंडरी मार्केट में किस कीमत पर लिस्ट हो सकता है। हालांकि, हाल के समय में कुछ मामलों में GMP ने शेयर की लिस्टिंग का सही संकेत नहीं दिया है।

उदाहरण के लिए, NTPC ग्रीन एनर्जी के आईपीओ को लें। बुधवार, 27 नवंबर को लिस्टिंग से पहले NTPC ग्रीन एनर्जी का GMP लगभग फ्लैट था, जिससे संकेत मिल रहा था कि शेयर ₹108 के कट-ऑफ प्राइस के करीब लिस्ट हो सकता है। लेकिन यह शेयर ₹108 के इश्यू प्राइस पर 3.3% प्रीमियम के साथ लिस्ट हुआ और दिन के अंत तक लगभग 12% ऊपर बंद हुआ। कमजोर बाजार के बावजूद, अगले दिन (28 नवंबर) भी NTPC ग्रीन एनर्जी के शेयर में मजबूती देखने को मिली।

अफकॉन्स इन्फ्रास्ट्रक्चर के ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) ने इसके कट-ऑफ प्राइस से ज्यादा की लिस्टिंग का संकेत दिया था। लेकिन असल में इसका उल्टा हुआ। यह शेयर ₹463 के इश्यू प्राइस पर डिस्काउंट में लिस्ट हुआ, जबकि GMP इससे बेहतर शुरुआत का अनुमान दे रहा था।

इसी तरह, सुरक्षा डायग्नोस्टिक के अनलिस्टेड शेयर ग्रे मार्केट में फ्लैट ट्रेड कर रहे थे। यह आईपीओ शुक्रवार, 29 नवंबर से सब्सक्रिप्शन के लिए खुलेगा।

क्या ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) सच में यह तय करने का भरोसेमंद तरीका है कि आईपीओ को बाजार में कैसी प्रतिक्रिया मिलेगी और यह किस कीमत पर लिस्ट होगा?

स्वतंत्र मार्केट एक्सपर्ट अंबरीश बालिगा इससे पूरी तरह सहमत नहीं हैं। बालिगा का मानना है कि लिस्टिंग गेन चाहने वाले निवेशक अक्सर GMP पर निर्भर रहते हैं, लेकिन इसे फैसला लेने का अकेला आधार नहीं बनाया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि ग्रे मार्केट अनियमित होता है, इसलिए इसमें गलतियां होने की संभावना रहती है।

इसलिए बालिगा निवेशकों को सलाह देते हैं कि किसी भी पब्लिक ऑफरिंग में निवेश करने से पहले कंपनी के बुनियादी कारकों (फंडामेंटल्स) पर ध्यान दें।

एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी का उदाहरण देते हुए अंबरीश बालिगा ने बताया कि कमजोर ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) के बावजूद इस पीएसयू स्टॉक ने लिस्टिंग के बाद अच्छा प्रदर्शन किया। उन्होंने इस सफलता का श्रेय कंपनी के मजबूत फंडामेंटल्स को दिया।

बालिगा ने कहा, “हालांकि GMP शॉर्ट-टर्म गेन के लिए उपयोगी हो सकता है, लेकिन गंभीर निवेशकों को हमेशा IPO में निवेश करने से पहले कंपनी के फंडामेंटल्स को प्राथमिकता देनी चाहिए।”

इक्विनॉमिक्स रिसर्च के फाउंडर और चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर जी. चोक्कालिंगम का कहना है कि स्पेकुलेटिव ट्रेडर्स लिस्टिंग गेन के लिए GMP को देख सकते हैं, लेकिन निवेशकों को हमेशा फंडामेंटल्स पर ध्यान देना चाहिए। GMP कंपनी के फंडामेंटल्स को नहीं दर्शाता, बल्कि ग्रे मार्केट में शेयरों की मांग और सप्लाई को दिखाता है, जो लिस्टिंग प्राइस को प्रभावित कर सकता है। लेकिन लिस्टिंग के बाद कंपनी के फंडामेंटल्स ही अहम होते हैं।

ओला इलेक्ट्रिक का उदाहरण देते हुए चोक्कालिंगम ने बताया कि निवेशकों ने GMP ट्रेंड्स के आधार पर शॉर्ट-टर्म गेन कमाया, लेकिन कमजोर फंडामेंटल्स के कारण कंपनी के शेयर लिस्टिंग के बाद IPO अलॉटमेंट प्राइस से नीचे आ गए।

चोक्कालिंगम ने कहा, “GMP को निवेशकों को एक प्रामाणिक संकेतक नहीं मानना चाहिए। इसके बजाय, उन्हें कंपनी के फंडामेंटल्स का मूल्यांकन करना चाहिए। हालांकि, स्पेकुलेटिव ट्रेडर्स ग्रे मार्केट ट्रेंड्स को गाइडेंस के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।”

First Published : November 28, 2024 | 4:27 PM IST