ऊंचे रिटर्न का दावा करने वाले लोगों और इकाइयों पर लगाम लगाने के प्रयास में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने ‘पास्ट रिस्क एंड रिटर्न वेरीफिकेशन एजेंसी’ (पीएआरआरवीए) शुरू की है। इसका काम ये जांचना होगा कि निवेश सलाहकार, शोध विश्लेषक, एल्गोरिदम ट्रेडिंग प्लेटफॉर्मों और ऐसी अन्य संस्थाएं जोखिम और रिटर्न के जो पिछले आंकड़ें बता रही हैं, वे सही हैं या नहीं।
उद्योग के कारोबारियों का कहना है कि ‘सबसे अच्छा प्रदर्शन’, ‘उतार-चढ़ाव के दौरान सुरक्षा’, ‘टॉप रैंक’ या ज्यादा रिटर्न जैसे किसी भी तरह के दावों का सत्यापन अनिवार्य होगा। बुधवार को अपनी बोर्ड बैठक में बाजार नियामक ने घोषणा की थी कि क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ऐसे मामलों में वेरीफिकेशन एजेंसी के तौर पर काम करेंगी जबकि स्टॉक एक्सचेंज बतौर डेटा सेंटर काम करेंगे। उद्योग जगत के लोगों का कहना है कि किसी भी प्रजेंटेशन या प्रचार सामग्री में कोई दावा करने के मामले में पीआरआरवीए सत्यापन आईएसआई-मार्क की तरह होगा।
सूत्रों ने कहा कि एनएसई ने पहले ही एक फर्म स्थापित कर ली है जो डेटा सेंटर के रूप में काम करेगी। हालांकि, इस कार्य के लिए किस एक्सचेंज को मान्यता दी जाएगी, इस पर निर्णय अभी नहीं लिया गया है। बाजार नियामक ने अभी तक पीएआरआरवीए के रूप में कार्य करने के लिए क्रेडिट रेटिंग एजेंसी को भी अंतिम रूप नहीं दिया है। सेबी ने सितंबर 2023 में प्रदर्शन के सत्यापन के लिए इस तरह की एक एजेंसी का प्रस्ताव रखा था।
वर्ष 2022 में बाजार नियामक ने स्टॉक ब्रोकरों को पिछले प्रदर्शन या भविष्य के रिटर्न का कोई दावा या जिक्र करने वाले एल्गो प्लेटफॉर्म से जुड़ने से रोकने के लिए सर्कुलर भी जारी किया था। उद्योग के कई लोगों ने कहा कि एजेंसी को चालू करने में अभी भी समय लग सकता है क्योंकि इसे प्रभावी बनाने से पहले बहुत सारी प्रणालियों और प्रक्रियाओं को पूरा करने की आवश्यकता है।
शुरुआत में, पीएआरआरवीए दो महीने के लिए पायलट आधार पर काम करेगी। इस दौरान यह उद्योग की प्रतिक्रिया के आधार पर अपनी प्रक्रियाओं और प्रौद्योगिकी में बदलाव लाएगी। इस परीक्षण अवधि के बाद एजेंसी नियमित संचालन पर ध्यान देगी।