इक्विटी बाजार की अस्थिरता के साथ-साथ ब्याज दरों की बढ़ने की संभावनाओं को देखते हुए म्युचुअल फंड कंपनियां इक्विटी लिंक्ड फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान (एफएमपी) जैसी नई योजनाओं की पेशकश कर रही हैं।
सबसे पहले इस प्रकार की योजना आईसीआईसीआई प्रूडेन्शियल म्युचुअल फंड द्वारा आईसीआईसीआई प्रूडेन्शियल एफएमपी सिरीज 33 के रुप में और डॉयचे म्युचुअल फंड द्वारा पेश की गई थी। हाल ही में बिड़ला सन लाइफ म्युचुअल फंड ने भी ऐसा ही एक फंड पेश किया है।
इन योजाओं की निवेश नीति आमतौर पर पूंजी सुरक्षित रखने वाले फंडों जैसी होती है। आईसीआईसीआई प्रूडेन्शियल का एफएमपी (36 महीनों वाला नियतकालिक) बैंक और थर्ड पार्टी द्वारा जारी किए गए इक्विटी लिंक्ड प्रतिभूतियों (ईएलडी) में 80 प्रतिशत का निवेश करती है। ईएलडी निवेश के वैसे उपकरण हैं जिनके प्रतिफल की दर अंतर्निहित इंडेक्स पर निर्भर करता है। शेष 20 प्रतिशत का निवेश एए-उपकरणों में किया जाता है।
उसी प्रकार, बिड़ला सन लाइफ का एविएटर (36 महीनों वाली नियतकालिक योजना) और ग्लेडिएटर (21 महीने वाली नियतकालिक योजना) योजनाएं न्यूनतम 70 प्रतिशत और अधिकतम 100 प्रतिशत का निवेश ईएलडी में करेंगी। वे अपनी परिसंपत्ति का 30 प्रतिशत तक वैसे ऑप्शंस में निवेश कर सकती हैं जो योजना की परिपक्वता अवधि के साथ परिपक्व होने वाला हो। बिड़ला सन लाइफ म्युचुअल फंड के उत्पाद प्रमुख भावदीप भट्ट ने कहा कि ऐसे उत्पाद उन निवेशकों को लख्य की गई हैं जो ऋण उपकरणों की स्थिरता के साथ-साथ शेयर बाजार से भी कुछ प्रतिफल पाने की अपेक्षा रखते हैं।
इनके प्रतिफल की गणना कुछ इस प्रकार की जाती है। फंड हाउस अंतर्निहित इंडेक्स निकालता है जो प्राय: पहले तीन या चार महीने का औसत होता है। इसलिए अगर अंतर्निहित इंडेक्स निफ्टी है और पहले, दूसरे और तीसरे महीने में यह क्रमश: 3,800, 4,000 और 4,200 के स्तर पर है तो इसका औसत 4,000 होता है। अंतिम तीन महीने के आधारर परर इसका अंतिम वैल्यू निकाला जाता है।
अगर निफ्टी 34वें, 35वें और 36वें महीने में क्रमश:5,000, 5,200 और 5,500 के स्तर पर होता है तो इसका औसत 5,233 का बनता है। इसलिए निंफटी का अंतिम प्रतिफल तीन साल की अवधि में 30.82 प्रतिशत है (5,233-40004,000*100)। निफ्टी के प्रतिफल को प्रतिभागिता अनुपात के साथ गुना कर अंतिम प्रतिफल प्राप्त किया जाता है। प्रतिभागिता का अनुपात फंड द्वारा पहले ही तय कर लिया जाता है। एविएटर के मामले में प्रतिभागिता अनुपात 140 से 145 प्रतिशत का है। उपरोक्त उदाहरण के अनुसार इसका प्रतिफल 43.14-44.5 प्रतिशत का बनता है।
हालांकि इसके अलावा भी कुछ शर्तें हैं। एविएटर के मामले में नॉकआउट स्तर 190 प्रतिशत का है जिसका मतलब है कि अगर निफ्टी 4,000 से बढ़ कर 7,600 के स्तर पर पहुंच जाता है तो प्रतिफल की अधिकतम सीमा 57 प्रतिशत की होगी (लगभग 18 प्रतिशत सालाना)। अगर निफ्टी में शुरुआती स्तर की तुलना में गिरावट आती है तो आरंभिक निवेश सुरक्षित रहेगा। अगर निफ्टी में 50 प्रतिशत की बढ़त होती है तो प्रतिफल 70 प्रतिशत तक जा सकता है (लगभग 23 प्रतिशत वार्षिक)।
जहां तक टैक्स का मामला है तो इन योजनाओं पर दीर्घावधि के पूंजीगत लाभ का फायदा मिलता है (एक साल बाद शून्य कर)। वित्तीय योजनाकारों का मानना है कि साफ-सुथरे इक्विटी और ऋण फंड निवेशकों को बेहतर विकल्प उपलब्ध कराते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इक्विटी लिंक्ड एफएमपी समझने के लिहाज से जटिल होते हैं और इनमें पारदर्शिता का अभाव होता है।