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जून का महीना भी राहत नहीं दे पाएगा इक्विटी के निवेशकों को

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 3:01 AM IST

मई का महीना निवेशकों के लिए काफी भारी रहा है। हालांकि हमने 26 अप्रैल के अपने लेख में ही कह दिया था कि मई की गर्मी में निवेशकों को कुछ ज्यादा ही पसीना बहाना होगा।


लेकिन परेशानी यह है कि जून का महीना भी निवेशकों को कोई राहत नहीं देने वाला है। मई का महीना ज्यादातर बार निवेशकों को निराश करता रहा है। मई में सेंसेक्स 5.04 फीसदी कमजोर पड़ा। 1998 के बाद से ही हर दूसरे साल में(ईवर इयर्स में) मई का महीना बाजार को कुछ और कमजोर करकेगया है।

2000, 2002, 2004 और 2006 में भी मई का महीना निवेशकों के लिए सुखकर नहीं रहा। पिछले उन्नीस सालों में यह नौवां मौका था जब मई में बाजार गिरा है और पिछले साल तक औसतन यह गिरावट 0.85 फीसदी की रही है और इस साल की मई की गिरावट के बाद यह औसत एक फीसदी का रह गया है।

बाजार का इतिहास देखें तो जून कभी भी डराने वाला नहीं रहा है बल्कि मजबूत ही रहा है। पिछले 18 सालों का जून का महीना देखें तो सेंसेक्स में केवल चार बार ही ऐसा हुआ है जब इस महीने बाजार गिरा है। पिछले नौ सालों को देखें तो आठ बार जून में बाजार चढ़ा है और पिछले छह सालों का आंकडा देखें तो हर बार इसमें इजाफा देखा गया।

औसतन जून के महीने की बढ़त 2.75 फीसदी की रही है और पिछले पांच सालों में तो यह औसत 4.81 फीसदी का रहा है। लेकिन जब जून का रिकार्ड ठीक दिख रहा है तो फिर इस महीने भी कमजोरी रहने की बात क्यों की जा रही है। दरअसर डेरिवेटिव सेगमेन्ट के आंकड़े उतने अच्छे नहीं दिख रहे हैं। हम नई सीरीज में 58,605 करोड़ के कैरी फार्वर्ड ओपन इंटरेस्ट के साथ घुसे हैं जो दिसंबर की एक्सपायरी के बाद सबसे ज्यादा हैं।

जब जनवरी की सीरीज शुरू हुई थी तब ओपन इंटरेस्ट 94,315 करोड क़ा था। देखा जाए तो यह ओपन इंटरेस्ट जनवरी से 37 फीसदी कम है लिहाजा बहुत चिंता की बात नहीं दिखती लेकिन इसी से भ्रम भी पैदा हो रहा है। अब अगर हम डेरिवेटिव के रोजाना के औसत वॉल्यूम को देखें तो तस्वीर साफ होती है। दिसंबर का 94,315 का ओपन इंटरेस्ट में रोजाना के औसत से तुलना करें तो 1:37 का बैठता है।

जबकि जून में यह अनुपात 1:5 का बैठता है। दिसंबर और मई के ओपन इंटरेस्ट में फीसदी में गिरावट देखें तो वॉल्यूम में ज्यादा गिरावट रही है। हालांकि महीने के शुरुआत में ओपन इंटरेस्ट का उतना मतलब नहीं रहता लेकिन गिरावट बनी रही तो यह अहम हो जाता है। इसके अलावा पुट कॉल रेशियो भी कुछ चिंता बढ़ा रहा है। जून सीरीज की शुरुआत हमने अब तक के सबसे ज्यादा 2.08 के पुट कॉल रेशियो से की है।

पहले के आंकड़ों में इतना तगड़ा रेशियो नहीं दिखाई पड़ता है। इससे साफ है कि पुट में खरीदारी तगड़ी हुई है। जून सीरीज के कुल पुट सौदों में 38 फीसदी ओपन इंटरेस्ट 4800 के करीब हैं और 15 फीसदी 4700 की सीरीज में हैं। इससे भी। घबराने की जरूरत नहीं, ये केवल सपोर्ट लेवल का संकेत देता है। लेकिन पुट की खरीदारी 4100 के स्तरों पर भी हुई है और यह ओपन इंटरेस्ट का 11 फीसदी है। इसके अलावा सेटलमेंट के आखिरी दिन यानी गुरुवार को निफ्टी में 1.7 फीसदी की गिरावट डेरिवेटिव सेगमेन्ट में 27अक्टूबर 2005 के बाद (सेटलमेंट के आखिरी दिन)पहली बार हुई है।

First Published : June 2, 2008 | 11:08 PM IST