देश की सबसे बड़ी 500 कंपनियों में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई)की हिस्सेदारी जून 2008 को अपने दो साल के न्यूनतम स्तर 18.18 फीसदी पर पहुंच गई है जबकि पिछले साल इसी दौरान विदेशी संस्थागत निवेशकों की हिस्सेदारी 19.86 फीसदी थी।
इस तेज गिरावट की वजह से शेयर की बाजार मूल्य में आने वाली गिरावट के साथ साल 2008 की पहली छमाही में रिकार्ड 60,000 करोड़ रुपयों का निकासी भी रही। बीएसई सेंसेक्स 500 में सूचीबध्द कंपनियों की कुल बाजार पूंजीकरण में 93 फीसदी हिस्सेदारी है।
जनवरी से लेकर मार्च की तिमाही के दौरान बाजार में 23 फीसदी और अप्रैल से जून के दौरान 14 फीसदी की गिरावट आई, इस दौरान बीएसई 500 में सूचीबध्द कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 39.3 फीसदी गिरा। घरेलू संस्थागत निवेशक जिसमें बैंक, वित्त्तीय संस्थाएं और बीमा कंपनियां शामिल हैं, की हिस्सेदारी 5.67 फीसदी से बढ़कर 5.88 फीसदी हो गई है।
इस दौरान यह खरीदार बने रहे और कुल 45,000 करोड़ की खरीदारी की। जिससे बाजार में गिरावट के बावजूद इन कंपनियों में घरेलू संस्थागत निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़ी। इन कंपनियों में आम जनता और कॉर्पोरेट समूहों की हिस्सेदारी में भी कम हुई। यह 17.06 फीसदी से 16.73 फीसदी हो गई। म्युचुअल फंड की हिस्सेदारी में भी थोड़ी गिरावट आई और यह 3.93 फीसदी से 3.88 फीसदी पर आ गया हालांकि उन्होंने 6,500 करोड़ रुपयों के शेयरों की खरीदारी की।