म्यूचुअल फंड कंपनियां भारतीय कंपनियों के विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बॉन्ड (एफसीसीबी) को खरीदने पर विचार कर रही है।
बाजार में आई गिरावट की वजह से मौजूदा समय में इन बॉन्डों का कारोबार अंकित मूल्य (फेस वैल्यू) से 30-40 फीसदी छूट पर हो रहा है। ये बॉन्ड मियाद की अवधि पूरी होने पर बेहतर मुनाफा दे सकते हैं।
इस बारे में आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी के निलेश शाह का कहना है कि हम फिलहाल एफसीसीबी बाजार पर नजर रख रहे हैं। वैसे, कंपनी उन बॉन्डों को खरीदने पर विचार कर सकती है, जो बेहतर मुनाफा देने का वादा करते हैं।
इसी तरह एक बडी परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी से जुड़े एक अन्य फंड प्रबंधक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हम निश्चित तौर पर इन बॉन्डों को खरीदने पर विचार करेंगे, क्योंकि बहुराष्ट्रीय कंपनियों के पास पहले से ही इस तरह के शेयर हैं।
बहुराष्ट्रीय कंपनियां विदेशों में 7 अरब डॉलर तक का निवेश और 300 मिलियन डॉलर का निवेश कर सकती है, लेकिन वास्तविक तौर पर निवेश इससे कहीं कम है।
अधिकांश इक्विटी योजनाएं विदेशों में अपनी कुल परिसंपत्ति का 35 फीसदी तक निवेश कर सकती हैं, जबकि कुछ योजनाएं ऐसी हैं, जो केवल विदेशी इक्विटी में ही निवेश करती हैं।
पर्याप्त मात्रा में निवेश नहीं होने की वजह बताते हुए बिरला सन लाइफ के प्रमुख सूचना अधिकारी ए. बालासुब्रमण्यन ने कहा कि कंपनियां बॉन्ड खरीदने को लेकर निश्चिंत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि बॉन्ड को खरीदने की स्थिति को लेकर अभी कुछ स्पष्ट रूप से कुछ कहा नहीं जा सकता है।
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल के शाह ने कहा कि मैं इस बात को लेकर निश्चिंत नहीं हूं कि इन बॉन्डों को खरीदने को लेकर बाकी लोग मेरे साथ हैं या नहीं।
उन्होंने कहा कि म्युचुअल फंड कंपनियां को इन्वेस्टमेंट ग्रेड विदेशी प्रतिभूतियों में निवेश करने की अनुमति मिली हुई है और मैं इस बात को लेकर असमंजस में हूं कि एफसीसीबी इसके लिए उचित है या नहीं।
क्या कहता है नियम?
26 सितंबर, 2007 को सेबी ने कहा था कि म्युचुअल फंड कंपनियां विदेशी डेट सिक्योरिटी में अल्पकालिक या लंबी अवधि के लिए निवेश कर सकती हैं।
हालांकि निवेश की अनुमति उन्हीं में होगी, जिसे पंजीकृत रेटिंग एजेंसियों द्वारा निवेश ग्रेड (बीबीबी श्रेणी) से नीचे की रेटिंग नहीं दी गई हो।
ऐसे में अगर म्युचुअल फंड कंपनियां इन बॉन्डों में निवेश करती है, उसे सेबी से अनुमति मिलने में कोई परेशानी नहीं होगी।