रुपए 18,008 करोड़ की गेल के जून तिमाही के परिणामों ने शेयर बाजार को आश्चर्यचकित किया। कंपनी ने जून की तिमाही में कुल 890 करोड़ का शुध्द लाभ कमाया।
विश्लेषकों ने पहले ही कंपनी के उस लोअर शेयर पर आपत्ति जताई थी जो वह तेल का विपणन करने वाली कंपनियों को प्रदान करती है। कंपनी पर पिछले साल की तिमाही में 480 करोड़ रुपए का बोझ था। लेकिन शेयर बाजार को जहां कंपनी के ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन में गिरावट की आशंका थी वहीं कंपनी ने 24.5 फीसदी का ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन बरकरार रखा।
कंपनी का ऑपरेटिंग प्रॉफिट 43 फीसदी बढ़कर 1,400 करोड़ रुपए रहा। इसकी पहली वजह रही कच्चे तेल की कीमतों के ऊंचे रहने की वजह से एलपीजी और पेट्रोलियम सेगमेंट को मदद मिलना। दूसरी वजह गैस के इनपुट कॉस्ट कम होना रही। कंपनी का कारोबार गैस खरीदना और उसका वितरण करना है।
प्राकतिक गैस के ट्रांसमिशन वॉल्यूम के 7.4 फीसदी ज्यादा रहने की वजह से कंपनी टॉपलाइन ग्रोथ में 35 फीसदी की सालाना वृध्दि हासिल करने में सफल रही और कंपनी की कुल टॉपलाइन बढ़त 5,731 करोड़ रुपए रही। इसके अलावा कंपनी ने इस तिमाही में 17 फीसदी ज्यादा वॉल्यूम का कारोबार किया।
हालांकि कंपनी ने पेट्रोकेमिकल्स उत्पादों के कम वॉल्यूम बेचे लेकिन यह कंपनी ने ऊंची कीमत पर किया। यही हालत एलपीजी के लिए भी रही और उसका रियलाइजेशन 40 फीसदी बढ़ा। इसके अलावा गेल को रिलायंस इंड्रस्टीज के साथ उसके गठजोड़ का भी फायदा मिला, कंपनी केजी-डी6 से गैस का उत्पादन करेगी। कंपनी पेट्रोनेट एलएनजी के साथ भी दाहेज से गैस के लिए ब्यवस्था करेगी।
अगले दो सालों में गेल के गैस ट्रांसमिशन वॉल्यूम के 20 से 25 फीसदी की गति से बढ़ने की संभावना है। कंपनी ने चरणबध्द तरीके से गैस का वितरण करने के लिए 230 और शहरों की पहचान की है। सात शहरों के लाइसेंस के लिए कंपनी ने एप्लाई भी कर रखा है। कंपनी के राजस्व के 21 से 23 फीसदी की गति से बढ़ने की संभावना है और यह 22,000 करोड़ के करीब रहेगा।
जबकि कंपनी के शुध्द लाभ के 16 से 18 फीसदी बढ़कर 3,000 करोड़ के करीब रहने की संभावना है। अगर सरकार गेल पर सब्सिडी का बोझ बढ़ाती है तो लाभ कम रह सकता है। साल की शुरुआत से गेल के शेयरों में 36 फीसदी का सुधार हुआ है। मौजूदा बाजार मूल्य 407 रुपए पर कंपनी के स्टॉक का कारोबार वित्त्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय से 12 गुना के स्तर पर हो रहा है।