कंटेनर लॉजिस्टिक फर्म गेटवे डिस्ट्रीपार्कस का संचित राजस्व मार्च 2008 की तिमाही में 78 फीसदी की तेज रफ्तार से बढ़ा है। इसकी वजह नया रेल कंटेनर कारोबार है।
पंजाब कॉनवेयर फ्रेट स्टेशन के अधिग्रहण की वजह से भी कंपनी को अपने लाभ को बढ़ाने में मद्द मिली। हालांकि बाजार में बहुत ज्यादा प्रतिस्पध्र्दा वाला माहौल रहने की वजह से 16 फीसदी की उगाही ही हो पाई जिसकी वजह कंपनी को मिली कम वापसी भी रही।
इसके अतिरिक्त ऊंची लागत की वजह से कंपनी के ऑपरेटिंग प्रॉफिट में भी कमी आई और यह 14 फीसदी गिरकर 32.8 फीसदी केस्तर पर आ गया। 268 करोड़ रुपये की यह फर्म देश के कई पत्तनों में फ्रेट स्टेशनों का संचालन करती है और साथ ही इससे जुड़ी अन्य सुविधायें भी उपलब्ध कराती है।
पंजाब कार्नवेयर स्टेशन की कुल उपयोग क्षमता 50 फीसदी के निचले स्तर रही है जो कि जेएनपीटी स्टेशन जिसकी कुल उपयोग क्षमता 85 फीसदी है ,की तुलना में कम है। आगे चलकर इस क्षेत्र से कंपनी को 10 से 15 फीसदी ज्यादा राजस्व मिलने की उम्मीद है।
हालांकि गेटवे जेएनपीटी में अपने बाजार की कुछ हिस्सेदारी गवां चुकी है और इसप्रकार इस कंपनी का कुछ वर्षो तक लाभ एक सीमित दायरे में ही होगा। जब तक कि कंपनी के किसी दूसरे टर्मिनल का संचालन शुरु नही हो जाता है। कंपनी को फ्रेट परिचालन के क्षेत्र में कड़ी प्रतियोगिता का भी सामना करना पड़ रहा है। जिससे कीमतों में दबाव रहने की आशंका है।
देश में एक्जिम रुट को लागू करने में हो रही देरी से कॉनकोर केसाथ कंपनी के गठजोड़ को आशा से कम लाभ की आशा है। इसके अतिरिक्त मंदी के लगातार जारी रहने और एमार्टेशन चार्जेज की वजह से कंटेनर कारोबार में आगे भी लगातार नुकसान जारी रहने के आसार है। गेटवे का इस सेगमेंट में 400 करोड़ के निवेश का विचार है। मजबूत ट्रैफिक और ऊंची क्षमता की वजह से कंपनी की वित्त्तीय वर्ष 2009 में बिक्री के अच्छे स्तर पर रहने की संभावना है।
हालांकि ऊंची लागत और घरेलू बाजार में लो मार्जिन की वजह से आय में थोड़ी सी ही वृध्दि की संभावना है। मौजूदा बाजार मूल्य 120 रुपये के स्तर पर कंपनी केस्टॉक का कारोबार वित्त्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय की तुलना में 18 गुना के स्तर पर हो रहा है जबकि वित्तीय वर्ष 2010 की तुलना में कंपनी केस्टॉक की कीमत 14.5 गुना के स्तर पर है। मार्जिन के दबाव में रहने की वजह से कंपनी केस्टॉक की कीमत महंगी है।
केयर्न इंडिया – तेल का खेल
अपने उत्पादन शेयर में 9 फीसदी तक गिरावट के बावजूद तेल उत्पादक फर्म केयर्न इंडिया को वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में आयी उछाल का फायदा मिला है। मार्च 2008 में समाप्त हुये तिमाही में फर्म ने कुल 33.6 फीसदी की बिक्री बढ़त दिखायी।
जिससे कंपनी की कुल बिक्री बढ़कर 316 करोड़ केस्तर पर पहुंच गई। 1012 करोड़ रुपये की कम्पनी ने अपने ओपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन का 18.3 फीसदी तक विस्तार किया जिससे कंपनी का ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन 65.3 फीसदी केस्तर पर पहुंच गया। इससे कंपनी के ऑपरेटिंग प्रॉफिट में भी 85.7 फीसदी का सुधार हुआ।
केयर्न सर्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों को आपूर्ति करती है। लेकिन सार्वजनिक तेल कंपनियों की तरह सब्सिडी नहीं लेती है। इस तिमाही में तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल की उगाही के चलते केयर्न का कुल प्रॉफिट 210 फीसदी तक उछल कर 116.4 करोड़ रुपये जा पहुंचा।कम्पनी की अगली योजना 7,000 करोड़ रुपये की राशि का निवेश करकेराजस्थान में ऑयल फील्ड का विकास करना और उसके लिए पाइपलाइन बिछाना है।
इसमें आने वाली कुल लागत का 70 फीसदी केयर्न इंडिया वहन करेगी, जबकि शेष 30 फीसदी खर्च ओएनजीसी उठायेगी जिसकी इस ऑयल फील्ड में 30 फीसदी की हिस्सेदारी भी है। केयर्न केइस ऑयल फील्ड से वित्त्तीय वर्ष 2009 के मध्य तक उत्पादन शुरु हो जाना चाहिए। इसके लिये केयर्न इंडिया ने पहले ही 2534 करोड़ पेट्रोनास और ओरिएंट ग्लोवल फंड के जरिये जुटा लिए है। इस फंड के एक शेयर की कीमत 224.30 रुपये थी।
वित्तीय वर्ष 2008 के पहले तिमाही के अंत तक फर्म 1377 करोड़ रुपये की नेट कैश पोजिशन में था। अगले कुछ वित्तीय तिमाहियों में कंपनी की स्थिति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों पर निर्भर करेगी जिसके कि कुछ समय तक मजबूत रहने के आसार है। मौजूदा बाजार मूल्य 300 रुपये पर कंपनी केस्टॉक का कारोबार सालभर के सबसे ऊंचे स्तर 307.80 रुपये,जो कि 13 मई को था, से थोड़ा कम रहा। आगे भी कंपनी केस्टॉक के आउटपरफार्म करने के आसार हैं।