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सरकार को क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) कारोबार पर TDS (स्रोत पर कर कटौती) एक फीसदी से कम करने पर विचार करना चाहिए। इसका कारण उच्च कर की दर से पूंजी बाहर जा रही है और विदेशी अधिकार क्षेत्र में आने वाले मंचों और अनधिकृत बाजारों से निवेशक निकल रहे हैं। मंगलवार को एक रिपोर्ट में यह कहा गया।
चेज इंडिया और इंडस लॉ ने ‘वर्चुअल डिजिटल संपत्ति’ (VDA) पर एक फीसदी TDS के प्रभाव’ शीर्षक से अपनी संयुक्त रिपोर्ट में कहा कि क्रिप्टो कारोबार की सुविधा देने वाले मंचों/ बाजारों को अपने ग्राहकों की भी जांच-परख करनी चाहिए। इससे भविष्य में अगर कोई जोखिम की आशंका है, उसे सामने लाया जा सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘व्यापक नियमन के अभाव में क्रिप्टो कारोबार पर मौजूदा एक प्रतिशत TDS से एक तरफ जहां पूंजी बाहर जा रही है, वहीं दूसरी तरफ दूसरे देशों के अधिकार क्षेत्रों में आने वाले कारोबारी मंचों तथा अनधिकृत बाजार से ग्राहक बाहर निकल रहे हैं।’
उल्लेखनीय है कि सरकार ने पिछले साल एक अप्रैल से बिटकॉइन, एथेरियम समेत क्रिप्टो करेंसी जैसी ‘वर्चुअल डिजिटल संपत्ति’ के अंतरण पर 30 फीसदी आयकर के साथ अधिभार और उपकर लगाया था। साथ ही, 10,000 रुपये से अधिक ‘वर्चुअल’ डिजिटल मुद्रा के भुगतान पर एक फीसदी TDS लगाया गया।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘TDS लगाने का मकसद क्रिप्टो में लेनदेन का पता लगाना था। यह लक्ष्य स्रोत पर कर कटौती दर कम कर भी हासिल किया जा सकता है। कम दर से TDS से न केवल लेन-देन का पता चल सकेगा बल्कि अगर भारतीय निवेशक KYC (अपने ग्राहक को जानो) युक्त भारतीय मंचों से कारोबार करते रहते हैं, तो कर संग्रह में भी इजाफा होगा।’
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यह रिपोर्ट बजट से पहले जारी की गयी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को 2023-24 का बजट पेश करेंगी। इसमें यह भी सुझाव दिया गया है कि सुरक्षा और निगरानी उद्देश्य से, सरकार को आधार नियमों की तरह सभी क्रिप्टो बाजारों/मंचों को निवेशकों/कारोबारियों कर विस्तृत KYC सत्यापन करने को कहना चाहिए।
चेज इंडिया और इंडस लॉ ने रिपोर्ट में यह भी कहा कि कई क्रिप्टो बाजार नियम के दायरे में आने के बावजूद TDS नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। कई मामले में देखा गया है कि गलत तरीके से क्रिप्टो मंच ने छूट प्राप्त की हुई है। इन खामियों को दूर किये जाने की जरूरत है।