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आईडीएफसी की पीएमसी का स्टैंडर्ड चार्टर्ड के साथ विलय

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 4:42 AM IST

आईडीएफसी हाई नेट वर्थ लोगो यानी एचएनआई के मद्देनजर अपनी पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज (पीएमसी) का विलय स्टैंचार्ट म्युचुअल फंड के साथ कर रहा है।


इसके जरिए आईडीएफसी म्युचुअल फंडों का अपना कारोबार और बढ़ाना चाहता है। इस बाबत आईडीएफसी म्युचुअल फंड के एसेट प्रबंधन के प्रबंध निदेशक नवल वीर कुमार कहते हैं कि इस वक्त हमारे पीएमसी कारोबार के कर्मचारी जो देश के बाहर ग्राहकों को सेवा प्रदान कर रहे हैं।

एक बार विलय होने के बाद हम घरेलू एचएनआई वाले लोगों को भी सेवा प्रदान कर सकेंगे। आईडीएफसी म्युचुअल फंड अपने उत्पादों को आस्ट्रेलियन फाइनेंसियल सर्विस मैक्वाइर के के प्रारूप के अनुसार काम करना चाहता है। मालूम हो कि इस मॉडल के तहत कोई भी संस्था निवेशक प्रारंभ में अपने कारोबार को स्थापित करने के लिए पॉवर प्लांट में निवेश करते हैं और एक बार जैसे ही प्लांट से नकदी मिलने लगते हैं, वह परिसंपत्ति निवेशक को बेच दी जाती है।

यह काम बिल्कुल उसी प्रकार होता है जिस प्रकार रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट यानी रिट्स संपत्ति की बिक्री करते हैं,जिनसे किराए मिलते हैं।  इस तरह किराए से प्राप्त पैसों को निवेशकों के बीच बांट दिया जाता है। इसी प्रकार रिट्स वाली स्थिति में पॉवर प्लांट से मिले पैसों को इंफ्रास्ट्रक्चर वाले फंड के निवेशकों के बीच बांटा जाएगा। कुमार आगे कहते हैं कि वैश्विक स्तर पर इंफ्रास्ट्रक्चर से मिलने वाले रिटर्न 12 से 20 फीसदी के  बीच स्थिर हैं।

मौजूदा दौर में देश में इस प्रकार के इंफ्रास्ट्रक्चर फंड शुरू करने के लिए पर्याप्त परिसंपत्ति नही है। लेकिन कुमार इसके प्रति आशावान हैं कि अगले तीन सालों के भीतर मैक्वाइर मॉडल वाले इंफ्रास्ट्रक्चर फंडों के लिए पर्याप्त परिसंपत्तियां जुटा ली जाएंगी। कुमार कहते हैं कि इस प्रकार के उत्पादों के लिए भारत जैसे देश में विकास  की भरपूर संभावनाएं हैं। हालांकि,इनकी सफलता प्रारंभिक दौर में कर इत्यादि से लेकर विभिन्न प्रकार के नियमों पर निर्भर करेगी। कुमार के मुताबिक म्युचुअल फंड कारोबार से रिटेल क्षेत्र के बुनियादी तत्वों को मजबूती मिलेगी, नतीजे में निवेशकों को फायदा होगा।  

First Published : June 9, 2008 | 10:49 PM IST