इंडेक्स फंड जिन्हें अप्रत्यक्ष रुप से प्रबंधित फंड भी कह सकते हैं,का प्रबंधन कोई साधारण बात नहीं है।
इन फंड पर लागत अनुपात काफी कम होता है क्योंकि ये फंड एक कम्प्यूटर मॉडल पर आधारित होते हैं जिनमें मानवीय सहायता का बहुत कम या लगभग न के बराबर इस्तेमाल होता है।
निवेशक सामान्यत: इन फंड की ओर इनकी कम लागत के कारण आकर्षित होते हैं लेकिन इनका यह उद्देश्य जब समाप्त हो जाता है जब इनमें भी उतनी ही लागत आने लगती है जितनी कि सक्रिय रुप से प्रबंधित किये गये डाइवरसीफाइड इक्विटी फंड में।
विश्लेषण के अनुसार इंडेक्स फंड पर आदर्श रुप से लागत अनुपात 0.75 से एक के दायरे में होना चाहिए। हाल में ही सेबी ने एक नोटिफिकेशन जारी किया है जिसके अनुसार इंडेक्स फंड पर अब लागत मूल्य 1.50 फीसदी के स्तर पर ही होगा। लेकिन अगर 22 फंड के लागत अनुपात पर नजर डालने पर लागत मूल्य का औसत 1.30 फीसदी मिला था।
इनमें से पांच फंड का औसत 1.5 फीसदी से भी अधिक है। इसमें ऐसे तीन फंड और है जिनकी लागत अनुपात दो से भी अधिक है। 22 में से केवल नौ फंड ही ऐसे है कि जिनकी लागत अनुपात एक फीसदी या उससे भी कम है।
चार फंड का लागत अनुपात एक और 1.5 फीसदी केबीच में है।इनमें से सबसे कम लागत अनुपात प्रिसिंपल इंडेक्स फंड का है जिनका लागत अनुपात 0.75 फीसदी है और सबसे अधिक लागत अनुपात आईएनजी निफ्टी प्लस फंड है जिसकी लागत अनुपात 2.5 फीसदी बैठती है। इंडेक्स फंड सूचकांक को दिखाते हैं और इनका प्रबंधन अप्रत्यक्ष रुप से होता है न कि सक्रिय रुप से।
सबसे ज्यादा लागत अनुपात वाले फंड एलआईसी एमएफ इंडेक्स फंड और आईएनजी निफ्टी फंड जिनका कि लागत अनुपात 2.05 फीसदी रहा था,ने पिछले एक साल के दौरान क्रमश: 23 फीसदी और 21 फीसदी का रिटर्न दिया जबकि इसी दौरान सेसेंक्स का रिटर्न 26 फीसदी रहा।
पिछले एक साल के दौरान विभिन्न सूचकांकों जैसे बीएसई,निफ्टी और बीएसई मिडकैप का रिटर्न क्रमश: 26 फीसदी,26.3 फीसदी और 24.9 फीसदी रहा। आईएनजी इनवेस्टमेंट के मार्केटिंग मैनेजर पंकज रावत का कहना है कि लोअर कॉरपस की वजह से इनकी लागत ज्यादा है। उन्होनें कहा कि इस फंड का कॉरपस 10.21 करोड़ के लगभग है इसलिये इसकी लागत ज्यादा है।