सारी मंदी के बावजूद प्राइवेट इक्विटी इंवेस्टमेंट्स के मामले में भारत अब भी एशिया (जापान को छोड़कर)का सबसे पसंदीदा डेस्टिनेशन बन चुका है।
साल 2008 की पहली तिमाही में भारत में प्राइवेट इक्विटी (पीई) इंवेस्टमेंट्स दोगुने हो गए हैं। पिछले साल से तुलना की जाए तो 31 मार्च को खत्म हुई तिमाही में यह चार अरब डॉलर तक पहुंच गए हैं, जबकि चीन में इस दौरान केवल 57 करोड़ डॉलर का पीई इंवेस्टमेंट हुआ।
कार्पोरेट एडवायजरी फर्म इंडसव्यू एडवाइजर्स के मुताबिक भारत पिछले साल की दूसरी तिमाही में ही पीई इंवेस्टमेंट के मामले में चीन को पछाड़ दिया था जब उसने चीन के 8 अरब डॉलर के मुकाबले 10 अरब डॉलर जुटा लिए थे। साल 2006 में चीन में 13 अरब डॉलर का पीई निवेश हुआ था जबकि उस साल भारत में कुल 7 अरब डॉलर का ही निवेश रहा था। लेकिन तब से हालात बदल चुके हैं।
भारत के रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर का इसमें सबसे ज्यादा योगदान रहा है,वैल्यू के लिहाज से कुल पीई निवेश में इन सेक्टरों की हिस्सेदारी 28 फीसदी रही है यानी कुल 1.12 अरब डॉलर, इसके बाद रहा पावर सेक्टर जिसकी हिस्सेदारी 13 फीसदी रही और इस तिमाही में इस सेक्टर में 52 करोड़ डॉलर का निवेश हुआ। बैंकिंग- फाइनेंस और टेलिकॉम तीसरे नंबर पर रहे, कुल निवेश में इनकी हिस्सेदारी 8.7 फीसदी की थी और इन सेक्टरों में कुल 34 करोड़ डॉलर का पीई निवेश हुआ।
दुनिया भर में ही रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टरों में अंतरराष्ट्रीय रियल एस्टेट प्राइवेट इक्विटी फंडों की खासी रुचि रही है और एक अनुमान के अनुसार पिछले दो सालों में ही इन सेक्टरों के लिए कुल 130 अरब डॉलर जुटाए गए हैं। इस रकम का काफी बड़ा हिस्सा अमेरिका से बाहर उभरते देशों में लगाने के लिए जुटाया गया है, जिसमें भारत और चीन शामिल हैं।
इंडसव्यू के चेयरमैन बनदीप सिंह रांगर के मुताबिक विकसित देशों में मंदी की गिरफ्त बढ़ने और रिटर्न ऑन इंवेस्टमेंट पर बढ़ते दबाव को देखते हुए पीई फर्में अब ज्यादा सुरक्षित बाजारों में पैसा लगाना चाहती हैं, जो जाहिर है उभरते बाजार ही हैं जो विकसित देशों से काफी हद तक डीकपल हो चुके हैं। उनका कहना है कि चीन के रेगुलेटेड बाजार के मुकाबले निवेशक भारत की उदारवादी आर्थिक पहल और कदमों को देखते हुए यहां पैसा लगाना ज्यादा मुनासिब समझते हैं।
पिछले कुछ सालों में भारतीय सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर जोर दिया है 2012 तक जीडीपी का 9 फीसदी इस सेक्टर पर खर्च करने की योजना बनाई है जिसने यहां निवेश की अपार संभावनाएं खडी क़र दी हैं।
इंफ्रास्ट्रक्चर पर जोर बढ़ने की वजह से ही इस सेक्टर के लिए इस साल आठ अरब डॉलर पीई निवेश के जरिए जुटाए जाने की उम्मीद है और इस काम में स्टेट बैंक, ऑस्ट्रेलिया की मैक्वारी कैपिटल, यूके की फर्म थ्रीआई ग्रुप और अमेरिका की ब्लैकस्टोन ग्रुप शामिल हैं। इंडसव्यू के बोर्ड सदस्य ऋषि सहाय के मुताबिक नॉन टेक्नोलॉजी सेक्टरों में आई तेजी से बढ़ता निवेश इस बात का संकेत है कि अर्थव्यवस्था के विकास के लिए इस सेक्टर के विकास की जरूरत पूरी तरह समझी गई है।
सरकारी आंकडों के मुताबिक भारतीय रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर बाजार में अंतरराष्ट्रीय रियल एस्टेट फंडों की भागीदारी अहम हो रही है और अगले पांच सालों में यह बाजार करीब 500 अरब डॉलर का निवेश एब्जार्ब करने का माद्दा रखता है।