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भारतीय निवेशक सबसे ज्यादा आशावादी

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 05, 2022 | 9:42 PM IST

अप्रैल भारतीय निवेशक सबसे ज्यादा आशावादी होते हैं।


दुनिया के बाकी बाजारों की तरह ही भारतीय बाजार भी अंतरराष्ट्रीय मंदी से अछूते नहीं हैं लेकिन एक सर्वे के मुताबिक एशियाई बाजारों की बात करें तो इस साल के पहले तीन महीनों में भारतीय निवेशक ही सबसे ज्यादा आशावादी नजर आए हैं।


अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्था आईएनजी के सर्वे के मुताबिक इस साल के पहले तीन महीनो में भारत सबसे आशावादी बाजार रहा है लेकिन निवेशकों का सेंटिमेंट पिछली तिमाही के मुकाबले केवल 0.6 फीसदी ही बढ़ा है। भारतीय निवेशकों का सेंटिमेंट इंडेक्स इस साल के पहले तीन महीनों में बढ़कर 168 हो गया जबकि दिसंबर 2007 को खत्म हुई तिमाही में ये 167 था।


आईएनजी इंवेस्टर डैशबोर्ड सर्वे हर तीन महीने में निवेशकों के सेंटिमेंट और उनके व्यवहार का आकलन करता है। सर्वे के लिए एशिया पैसिफिक के 13 बाजार शामिल किये जाते हैं जिनमें भारत के अलावा चीन, हांगकांग, इंडोनेशिया, ताइवान, थाईलैंड, जापान, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं।


इस सर्वे में शामिल सभी बाजारों को 0-200 के बीच इंवेस्टर सेंटिमेंट स्कोर दिया गया। हालांकि भारतीय और दूसरे एशियाई निवेशक लंबी अवधि के निवेश के प्रति आशान्वित दिखे और उन्हें लगता है कि बाजार का बुरा समय खत्म हो चुका है, लेकिन घरेलू निवेशक उन निवेशकों में से रहे जो बाजार को लेकर बुलिश हैं यानी उनका मानना है कि बाजार में तेजी आएगी।


सर्वे के मुताबिक यूं तो भारतीय और अन्य देशों के निवेशकों ने इस दौरान वेट ऐंड सी यानी इंतजार करो और देखों की नीति अपनाई है लेकिन भारतीय निवेशकों ने इस दौरान कम जोखिम वाले निवेश को ज्यादा तरजीह दी है।     अमेरिकी मंदी के अलावा इस पूरे क्षेत्र में ही इस दौरान मंदी का असर रहने के कारण इस सर्वे का इंडेक्स पिछली तिमाही की तुलना में 135 से गिरकर 125 पर आ गया है।


लेकिन इस गिरावट के बावजूद एशियाई निवेशक ज्यादा ऑप्टिमिस्टिक रहे हैं। सर्वे में शामिल भारत के करीब 67 फीसदी निवेशक और एशिया (जापान को छोड़कर) के 73 फीसदी निवेशक मानते हैं कि अप्रैल-जून की तिमाही में भी सब प्राइम क्राइसिस का असर उनके निवेश के फैसलों पर पड़ेगा। हालांकि पिछली दो तिमाहियों में एशिया में सेंटिमेंट कमजोर हुआ है और भारत और चीन में यह सेंटिमेंट मजबूत होने की एक बडी वजह है इन देशों में कम उम्र में निवेशकों का बेस होना जो यह मानते हैं कि उनकी अर्थव्यवस्था मजबूत हैं।


सर्वे में एक बात और निकल के आई है कि भारतीय निवेशक स्टॉक मार्केट में ज्यादा जोरशोर से निवेश करने लगे हैं और इसके लिए उन्होंने प्रॉपर्टी में अपना निवेश घटाया है। सर्वे ने उम्मीद जताई है कि अभी यह कहना जल्दी होगी कि मंदी खत्म हो चुकी है लेकिन लंबे समय भारत और दूसरी एशियाई अर्थव्यवस्थाओं की मजबूती कायम रहेगी।

First Published : April 16, 2008 | 12:31 AM IST