इंडसइंड बैंक के शेयर में इस महीने 30 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है और यह अपनी महज 0.8 गुना की बुक वैल्यू पर कारोबार कर रहा है। बर्न्सटीन के अनुसार इस हिसाब से उसका मूल्यांकन ‘सस्ता’ है। ब्रोकरेज फर्म ने इस शेयर के लिए अपना कीमत लक्ष्य 1,300 रुपये से घटाकर 1,000 रुपये कर दिया है जिससे अभी भी इसमें मौजूदा स्तर से 47 फीसदी तेजी की संभावना दिखती है। बर्न्सटीन ने इंडसइंड बैंक का मूल्यांकन वित्त वर्ष 2026 के लिए उसकी अनुमानित बुक वैल्यू के 1 गुना पर किया है। बर्न्सटीन ने ऐसे प्रमुख जोखिमों के बारे में बताया है जिन पर निवेशकों को इन स्तरों पर बाजार में प्रवेश करने से पहले विचार करना चाहिए।
ब्रोकरेज फर्म के विश्लेषक प्रणव गुंडलापल्ले की रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंक में प्रवर्तक समूह की 15 प्रतिशत हिस्सेदारी है और इसमें से 50 फीसदी शेयर गिरवी रखे हुए हैं। इसके अलावा, प्रवर्तक समूह की ओर से जारी मौजूदा विलय-अधिग्रहण सौदे से हालात और ज्यादा जटिल हुए हैं। ब्रोकरेज का कहना है कि शेयर भाव में तेज गिरावट के बावजूद गिरवी शेयरों में सीमित बढ़ोतरी से कुछ हद तक ये चिंताएं कम हुई हैं।
बर्न्सटीन की दूसरी अहम चिंताओं में प्रबंधन की विश्वसनीयता और जमा राशियों के बाहर निकलने की आशंकाएं शामिल हैं। बर्न्सटीन की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘परिसंपत्ति गुणवत्ता के मसले, लेखांकन समस्याओं और बैंक की परेशानियों से पहले प्रबंधन की ओर से हिस्सा बिक्री (जून 2023 से जून 2024 तक सीईओ और डिप्टी सीईओ के शेयर स्वामित्व में भारी गिरावट) ने प्रबंधन में भरोसा खत्म कर दिया, जिससे नए नेतृत्व की नियुक्ति तत्काल जरूरत बन गई है।’
थोक जमाओं पर बैंक की ज्यादा निर्भरता ने भी बड़ी जमा निकासी का जोखिम बढ़ा दिया है, जो अकाउंटिंग के बड़े मसलों से जुड़ी हुई है। ब्रोकरेज ने कहा है कि हालांकि आरबीआई का बयान इनमें से कुछ चिंताओं को दूर करने में मदद कर सकता है, लेकिन इससे बैंक के एक दुष्चक्र में फंसने का जोखिम भी बढ़ा है, जो गिरवी रखे गए शेयरों के मामले की तरह है। बर्न्सटीन का कहना है कि बैंक की रिकवरी के लिए सामान्य तीन साल के कार्यकाल वाले सीईओ की नियुक्ति जरूरी है।