कठिन कारोबारी माहौल को देखते हुए इन्फोसिस ने बहुत सतर्क रवैया अख्तियार किया है और इसमें आश्चर्य की भी कोई बात नहीं है।
सूचना-प्रद्यौगिकी क्षेत्र के इस बड़े खिलाडी ने प्रति शेयर आमदनी(ईपीएस)के गाइडेंस को वित्त वर्ष 2008 में 2.32-2.36 डॉलर से घटाकर 2.24 कर इससे जुड़ी अपेक्षाओं को एक झटका दिया है। यह अनुमानित आंकड़े से 5 प्रतिशत कम है और इसका मतलब यह निकलता है कि चालू वित्त वर्ष में पहले के अनुमानित 14-20 प्रतिशत की तुलना में आमदनी में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी।
ऐसा पहली बार है कि जब कि इंफोसिस ने अपने रेवेन्यू और प्रॉफिट गाइडेंस को कम किया है जिससे कि रेवेन्यू गाइडेंस 5.05 अरब डॉलर से घटकर 4.72-4.81 अबर डॉलर के बीच रह गया है जोकि एक बार फिर चार प्रतिशत कम है। इसका तात्पर्य यह है कि वित्त वर्ष 2009 में डॉलर रेवेन्यू पूर्व के अनुमानित 19-21 प्रतिशत की तुलना में 15 प्रतिशत की रफ्तार से आगे बढ़ेगा।
इस गिरावट का कारण यह है कि हाल केदिनों में डॉलर के मुकाबले यूरो की कीमत में बढ़ोतरी हुई है।मौजूदा वैश्विक वित्तीय संकट जिस तरह से करवट ले रहा है उससे ऐसा लगता है कि आईटी क्षेत्र में किए गए निवेश में कमी आ रही है क्योंकि विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्था तेजी से मंदी का शिकार हो रही है।
गौर करने वाली बात यह है कि भारतीय वेंडरों का बैंकिंग और वित्तीय कारोबार में खासा दखल है और इस लिहाज से ये वित्तीय संकट का आसानी से शिकार हो सकते हैं। जैसा कि इंफोसिस प्रबंधन ने कहा कई ऐसी कंपनियां जिसमें कि कंपनी अपनी सेवाएं प्रदान कर रही है, वहां पर नेतृत्व परिवर्तन होने जा रहा है और इसलिए नीतिगत फैसला करने में देरी हो सकती है।
गाइडेंस से जो संकेत मिल रहें हैं उससे लगता है कि अगली दो तिमाहियों में विकास बहुत ही सपाट रहेगा और स्थिति में परिवर्तन होने में कुछ समय लग सकता है। बिलिंग रेट के अभी तक स्थिर रहने के कारण वित्त वर्ष 2009 के दूसरी तिमाही का परिणाम अपेक्षाओं से बेहतर रहा और राजस्व जहां 11.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी केसाथ 5,418 करोड रुपये रहा वहीं ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन 265 आधार अंकों के उछाल के साथ 33.1 प्रतिशत के स्तर पर रहा जिसके कि परिणामस्वरूप शुध्द मुनाफा 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी केसाथ 1,432 करोड रुपये रहा।
हालांकि कीमतों पर दबाव समस्या बन सकती है और इससे भी ज्यादा इस चुनौतीपूर्ण माहौल में वॉल्युम में गिरावट आ सकती है, यद्यपि सितंबर तिमाही में वॉल्यूम में 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इंफोसिस के ऑर्डर आ रहें हैं और इस तिमाही में इसके ऑर्डर में 40 प्रतिशत की बढाेतरी हुई।
कंपनी प्रबंधन का कहना है कि लोगों को नियुक्त करने की प्रक्रिया सही दिशा में जा रही है पिछली तिमाही में इसने 10,000 लोगों की भर्तियां की है और दिसंबर तिमाही में यह 4,500 लोगों तथा इस साल 25,000 लोगों को नियुक्त करेगी। हालांकि मंदी को देखते हुए नियुक्तियां की बात सामान्य नहीं लगती है लेकिन साथ ही बहुत कुछ बेहतर भी नहीं कहा जा सकता है।
फिलहाल 1227 रुपये पर कंपनी के शेयरों का कारोबार वित्त वर्ष 2009 के अर्निंग्स के 12 गुना पर हो रहा है। हालांकि स्ट्रीट डॉलर कमाने पर ज्यादा ध्यान दे रहा है लेकिन इसके इस साल मात्र 10 प्रतिशत की रफ्तार से आगे बढ़ने की संभावना है और साथ ही शेयरों के लिए अपसाइड की सीमा भी तय हो सकती है।