भारत में मिठाई, नमकीन व रेस्तरां की श्रृंखला का परिचालन करने वाला बीकानेरवाला समूह अगले तीन साल में अपनी फूड कंपनी का IPO लाने पर काम कर रहा है। समूह का राजस्व 3,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है। हालांकि आईपीओ लाने से पहले कंपनी प्राइवेट इक्विटी निवेशकों को भी जोड़ सकती है।
कम सुर्खियों में रहने वाली अग्रवाल परिवार के स्वामित्व वाले समूह बीकानेरवाला फूड्स प्राइवेट लिमिटेड को उम्मीद है कि साल 2030 तक उसका राजस्व 10,000 करोड़ रुपये के पार निकल जाएगा।
कंपनी भारतीय स्नैक्स बनाने के लिए नए प्लांटों पर भारी निवेश कर रही है। इसके अलावा कंपनी ब्रांडेड मसाला बाजार में उतरी है और ITC से लेकर HUL व देसी ब्रांड MDH से मुकाबला कर रही है। कंपनी का इरादा डेयरी उत्पाद में भी उतरने का है, जिसके लिए विस्तृत योजना बनाई जा रही है।
बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में बीकानेरवाला फूड्स के प्रबंध निदेशक 70 वर्षीय श्याम सुंदर अग्रवाल ने कहा, हम फूड बिजनेस में हर साल 20 फीसदी की वृद्धि चाहते हैं और तीन साल बाद हम कंपनी के आईपीओ पर विचार करेंगे। हम आईपीओ से पहले प्राइवेट इक्विटी फंडों व अन्य साझेदारों को जोड़ सकते हैं ताकि कारोबार में बढ़ोतरी हो। हमारा इरादा 2030 तक राजस्व को 10,000 करोड़ रुपये पर पहुंचाने का है और वित्त वर्ष 2024 में फूड का राजस्व 1,800 करोड़ रुपये पर पहुंचेगा, जो वित्त वर्ष 23 में 1,500 करोड़ रुपये था।
क्विक सर्विस रेस्टोरेंट बिजनेस के 165 आउटलेट हैं और करीब 30 वैश्विक स्तर हैं, जिनमें अमेरिका (न्यू यॉर्क व लॉस एंजलिस), कनाडा, सिंगापुर आदि शामिल हैं। अग्रवाल ने कहा कि उनका लक्ष्य साल 2030 तक 200 स्टोर की शृंखला बनाने का है।
उन्होंने यह भी कहा कि फूड बिजनेस का एबिटा मार्जिन करीब 10 फीसदी है, जिसके बारे में विश्लेषकों का कहना है कि उद्योग में ऐसा ही है।
अग्रवाल ने कहा, हमने अभी ब्रांडेड मसाला कारोबार शुरू किया है क्योंकि हम पैकेज्ड फूड के लिए अपना मसाला खुद बनाते हैं। हम डेयरी कारोबार में भी उतरने पर विचार कर रहे हैं क्योंकि मिठाई के निर्माण के कारण हम दूध के बड़े उपभोक्ता भी हैं।
अग्रवाल ने कहा, कंपनी क्षमता विस्तार पर बड़ा निवेश कर रहे हैं, जिसमें जेवर एयरपोर्ट के पास पैकेज्ड स्नैक फूड्स बनाने के लिए 400 करोड़ रुपये का संयंत्र शामिल है, जिससे हमें स्नैक्स बनाने की अपनी मौजूदा 200 टन रोजाना से 400 टन रोजाना करने में मदद मिलेगी।
कंपनी हैदराबाद में 50 करोड़ रुपये की लागत से प्लांट लगा रही है, जो दक्षिण व पश्चिम भारत के बाजारों की मांग पूरी करेगा।
IMARC के अनुसार वर्ष 2022 में भारतीय पैकेज्ड स्नैक्स और मिठाई का बाजार 44,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था और वर्ष 2028 तक यह लगभग दोगुना होकर 86,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है, जिसमें एक बड़ा हिस्सा स्नैक्स का रहेगा।
लेकिन बीकानेरवाला भारतीय स्नैक और मिठाई कारोबार में आईपीओ पर विचार करने वाली पहली कंपनी नहीं होगी। हल्दीराम परिवार से अलग हुए भाइयों में से एक भाई – शिव रतन अग्रवाल द्वारा संचालित बीकाजी फूड्स इंटरनैशनल ने पिछले साल नवंबर में बीकाजी ब्रांड नाम के साथ अपना आईपीओ लाने का फैसला किया, जिसे अच्छी प्रतिक्रिया मिली।
इससे पहले इसने लाइटहाउस और आईआईएफएल जैसी निजी इक्विटी फर्मों को अपने साथ जोड़ा था। बीकाजी फूड्स इंटरनैशनल ने वित्त वर्ष 23 में पिछले साल की तुलना में 22 प्रतिशत से अधिक की मूल्य वृद्धि के साथ 1,966 करोड़ रुपये का राजस्व तथा 126.5 करोड़ रुपये के करोपरांत लाभ की घोषणा की है। इसका एबिटा मार्जिन लगभग 13.4 प्रतिशत रहा।