बाजार में चौतरफा बिकवाली की मार से दोनों ही सूचकांक और सभी सेक्टर गिर कर ही बंद हुए।
औद्योगिक उत्पादन के निराशाजनक आंकड़े और महंगाई की बेलगाम दर के अलावा तेल की चढ़ती कीमतों ने बाजार में दबाव बना लिया, यही नहीं इन्फोसिस की गाइडेंस ने भी बाजार को बहुत राहत नहीं दी। सेंसेक्स करीब 3.28 फीसदी और निफ्टी 2.72 फीसदी कमजोर होकर बंद हुआ जबकि टेक्नोलॉजी इंडेक्स 6.73 फीसदी कमजोर पड़ा।
इन्फोसिस के मुताबिक पहली तिमाही में कारोबार का माहौल काफी मुश्किल था और इसके पहली तिमाही केनतीजे उम्मीदों के मुताबिक ही थे। लिहाजा सटोरियों ने इन्फोसिस में शार्ट पोजीशन ही नहीं बनाई जिससे यह शेयर न केवल 7.6 फीसदी गिरा बल्कि टीसीएस (8.23 फीसदी), सत्यम (6.55 फीसदी) और विप्रो (5.3 फीसदी) भी गिरकर बंद हुए। जुलाई वायदा में इन्फोसिस का ओपन इंटरेस्ट बढ़कर 866,400 शेयरों पर पहुंच गया जबकि सत्यम और टीसीएस का ओपन इंटरेस्ट 5-5 लाख शेयरों से बढ़ गया।
औद्योगिक उत्पादन मई 2008 में 3.8 फीसदी की दर से बढ़ा है जो कि अप्रैल के 6.2 फीसदी से काफी नीचे है। हालांकि ज्यादा चिंता कैपिटल गुड्स के उत्पादन में रही जिसकी ग्रोथ दर अप्रैल के 11.4 से गिरकर 2.5 फीसदी रह गई है। इसकी वजह से एबीबी, बीएचईएल, एल ऐंड टी और सुजलॉन एनर्जी जैसे कैपिटल गुड्स के शेयरों में बिकवाली का दबाव बना। एल ऐंड टी का जुलाई वायदा भाव शार्ट पोजीशन की वजह से 7.52 फीसदी गिर गया।
कच्चे तेल की कीमतें भी नाइजीरिया और इरान की धमकियों के बाद चढ़कर 144.18 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गईं। अगले हफ्ते ब्राजील के तेल कर्मचारियों की हड़ताल की धमकी का भी दबाव बना। लिहाजा तेल सेक्टर के शेयर भी नुकसान में रहे। रिलायंस 2 फीसदी, ओएनजीसी 3.6 फीसदी और बीपीसीएल 7 फीसदी गिरकर बंद हुए।