स्टॉक एक्सचेंज क्लोज एंडेड म्युचुअल फंडों के लिए सालाना लिस्टिंग शुल्क घटा सकता है। सेबी के नए दिशानिर्देशों के अनुसार कई म्युचुअल फंडों को बाजार में सूचीबध्द होना होगा।
इस बारे में बीएसई के प्रवक्ता से बात की पर उन्होंने इसकी कोई पुष्टि नहीं की लेकिन एनएसई के अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि कर दी कि एक्सचेंज क्लोज एंडेड फंडों की फीस कम करेगा।
सेबी अध्यक्ष सी बी भावे ने पिछले हफ्ते ही कहा था कि जो भी क्लोड एंडेड स्कीम (इक्विटी लिंक्ड स्कीमों को छोड़कर)12 दिसंबर या उसके बाद लांच की जाएंगीं, उन्हें एक्सचेंज में लिस्टिंग कराना होगा। सेबी ने अपने सर्कुलर में कहा कि क्लोज एंडेड स्कीमों के लिए लिस्टिंग शुल्क रेगुलेशन 42 (4) के तहत मान्य होगा।
इसका मतलब यह कि लिस्टिंग फीस को स्कीम के खर्चों से जोड़ा जाएगा और इसे उस स्कीम के निवेशकों से वसूला जा सकता है। लिस्टिंग शुल्क में कमी करने का असर निवेशकों से वसूले जा रहे खर्चों पर भी पड़ेगा और वे भी कम हो सकते हैं।
डेट म्युचुअल फंडों को खर्चो के रूप में 2.25 फीसदी वसूलने की अनुमति है जबकि फिलहाल इक्विटी फंड 2.5 फीसदी तक वसूली कर सकते हैं।
मौजूदा समय में एनएसई कैपिटल मार्केट सेगमेंट में शुरुआती लिस्टिंग फीस 7500 रुपए लेता है। इसके अलावा सालाना लिस्टिंग फीस भी होती है जो 4200 रुपए से 70,000 रुपए के बीच होती है और यह लिस्ट होने वाली कंपनी की पेडअप शेयर कैपिटल या डिबेंचर कैपिटल के आधार पर होती है।
जिन कंपनियों की पेडअप कैपिटल 50 करोड़ से ज्यादा होती है, उनके लिए लिस्टिंग फीस के नियम अलग होते हैं। बीएसई के मामले में ये फंड स्कीमें सिक्योरिटीज अदर दैन प्रावेटली प्लेस्ड डेट सेक्योरिटीज की श्रेणी में आएंगीं। इनके लिए शुरुआती लिस्टिंग फीस 20 हजार रुपए है।
इसके बाद सालाना लिस्टिंग फीस इश्यू के आकार के आधार पर 10 हजार से 30 हजार रुपए के बीच है। फंडों के मामले में एक्सचेंज आमतौर पर सालाना लिस्टिंग फीस के लिए फंड के असेट अंडर मैनेजमेंट को आधार बनाता है।
आमतौर पर एक्सचेंज इक्विटी स्कीम और डेट स्कीम का भेद नहीं करता बल्कि निवेशकों की संख्या को देखता है कि यह स्कीम कितने लोगों को इश्यू हुई है।
इस मामले में क्लोज एंडेड फिक्स्ड मेच्योरिटी प्लान कैपिटल मार्केट सेगमेंट में तब लिस्ट की जाएंगी जब इस स्कीम के यूनिट खरीदने वाले निवेशकों की संख्या (ज्यादातर मामलों में)49 से ज्यादा होती है।