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SEBI प्रमुख के खिलाफ सांसद की शिकायत जांच का आदेश देने के लिए अपर्याप्त: लोकपाल

भ्रष्टाचार से जुडे मामलों की जांच करने वाले निकाय ने कहा कि अनुचित व्यवहार और हितों के टकराव के आरोप वाली शिकायत उसे जांच का आदेश देने के लिए राजी करने में विफल रही।

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भाषा   
Last Updated- September 22, 2024 | 9:18 PM IST

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच के खिलाफ लोकसभा सांसद की शिकायत लोकपाल की जांच शुरू करने के लिए अपर्याप्त है।

भ्रष्टाचार से जुडे मामलों की जांच करने वाले निकाय ने कहा कि अनुचित व्यवहार और हितों के टकराव के आरोप वाली शिकायत उसे जांच का आदेश देने के लिए राजी करने में विफल रही।

अमेरिका स्थित हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट के आधार पर अलग-अलग व्यक्तियों की दो शिकायतों पर फैसला करते हुए लोकपाल ने शिकायतकर्ताओं से हलफनामा दाखिल करने को कहा। इसमें इन शिकायतकर्ताओं को 10 अगस्त, 2024 को प्रकाशित हिंडनबर्ग रिसर्च की हालिया रिपोर्ट में किए गए दावों की प्रामाणिकता को सत्यापित करने के लिए उसके द्वारा किए गए प्रयासों का विवरण देना होगा।

लोकपाल ने उनसे ‘संबंधित व्यक्ति’ के खिलाफ आरोपों को स्पष्ट करने के लिए भी कहा, जो 20 सितंबर के लोकपाल के आदेश के अनुसार भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, 1988 के तहत भ्रष्टाचार का अपराध हो सकता है।

हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में आरोप लगाया था कि बुच और उनके पति के पास कथित अदाणी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए अस्पष्ट विदेशी कोष में हिस्सेदारी थी। बुच और उनके पति ने इन आरोपों का खंडन किया, और कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च पूंजी बाजार नियामक की विश्वसनीयता पर हमला और चरित्र हनन का प्रयास कर रही है।

अदाणी समूह ने भी हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों को दुर्भावनापूर्ण और चुनिंदा सार्वजनिक सूचनाओं में हेरफेर करार दिया था। हिंडनबर्ग ने अदाणी पर अपनी पहली रिपोर्ट के 18 महीने बाद कहा था, ‘‘सेबी ने अदाणी के मॉरीशस और विदेशी फर्जी संस्थाओं के कथित अघोषित जाल में आश्चर्यजनक रूप से रुचि नहीं दिखाई है।’’

एक मौजूदा सांसद (लोकसभा) की शिकायत पर विचार करते हुए लोकपाल ने कहा, ‘‘शिकायत हमारे लिए पक्के तौर पर यह राय बनाने में विफल रही है कि (लोकपाल) अधिनियम 2013 की धारा 20 के अनुसार एक प्रथम दृष्टया मामला बनता है, जिसमें मामले में आगे बढ़ने के लिए प्रारंभिक जांच या जांच का निर्देश देने की जरूरत है। खासतौर से उन्हीं कारणों और तर्कों के लिए जो (पहली शिकायत में) बताए गए हैं।”

तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने 13 सितंबर को ‘एक्स’ पर पोस्ट में लिखा था कि उन्होंने सेबी प्रमुख के खिलाफ लोकपाल के पास शिकायत दर्ज कराई है।

लोकपाल ने शिकायतकर्ताओं से कहा कि वे संबंधित व्यक्ति के खिलाफ आरोपों को स्पष्ट रूप से बताएं जो भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, 1988 के प्रावधानों के अनुसार ‘भ्रष्टाचार का अपराध’ बन सकते हैं। लोकपाल ने इन मामलों को आगे विचार के लिए 17 अक्टूबर, 2024 को सूचीबद्ध किया है।

First Published : September 22, 2024 | 2:51 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)